5 women’s success stories। 5 भारतीय महिलाओं के संघर्ष और सफ़लता की कहानी।
- अनीता रॉडिक,
- स्मृति ईरानी,
- बेबी हाल्दार,
- कमला परसाद,
- अमृतानंदमई अम्मा,
1. अनीता रॉडिक। मेहनत और लगन से बनी ‘ द बॉडी शॉप की मालिक’। women’s success stories।
अनिता रॉडिक का जन्म 23 अक्टूबर 1942 को इंग्लैंड के लिटिल हैंपटन स्टेट में एक एग्लोइंडियन परिवार में हुआ था। उनके पिता किसी जमाने में नौकरी की तलाश में इंग्लैंड आए थे।
और अंग्रेजी लड़की ओलिडा पे रिली से शादी करके लिटिल हैंपटन में बस गए थे। जब वे 9 साल की थी तब उनकी मां ने तलाक लेकर हेनरी से शादी कर ली।
फिर अनीता ने नाजियों द्वारा यहूदियों पर अत्याचार के चित्रों वाली एक किताब देखी। जिसकी वजह से लोग अनीता को बागी और बड़बोला कहने लगे थे। उसके बाद 20 साल की उम्र में अनीता स्कॉलरशिप लेकर इजराइल पढ़ने गई।
वहां उन्होंने गार्डन रॉडिक से शादी कर ली। वहां पति-पत्नी ने एक छोटा सा रेस्तरां खोला और रूटिंग जिंदगी से ऊबकर गार्डन लंबा अवकाश लेकर ट्रेनिंग पर निकल गए। जहां अनीता ने द बर्कले बॉडी शॉप देखी जो नेचुरल बाथ शॉप व लोशन बनाती थी।
अपनाया फ्रेंचाइजी फॉर्मूला।
अनीता ने भी नेचुरल कॉस्मेटिक बनाए और होटल व रेस्तरां गिरवी रखकर ब्राइटन इंग्लैंड में पहली बॉडी शॉप खोली। जब उनके उत्पादों की मांग बढ़ी तब उन्होंने फ्रेंचाइजी फार्मूला अपनाया। और 1984 में 138 बॉडी स्टोर्स की श्रृंखला के साथ अपनी कंपनी को लंदन स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर करवाया।
तब अनीता ने कहा था बिना डरे मन की करो फिर सफलता तुम्हारे कदम चूमती है। यह मेरा अनुभव कहता है। मैंने सब कुछ बिना डरे किया इसलिए मैं आज इस मुकाम तक पहुंची हूं।
अनीता रॉडिक ने बदली अपनी सोच।
परंतु कुछ साल बाद उनकी सोच बदल गई फिर वे पर्यावरण की प्रवक्ता बनकर रासायनिक कॉस्मेटिक के विरुद्ध बोलने लगी तब लोगों ने उन पर कई आरोप लगाए लेकिन उनका कहना था। समाजसेवी और सफल व्यक्ति हमेशा आगे बढ़कर पहल करते हैं। और सफल लोगों पर कीचड़ उछालना लोगों की पुरानी आदत है।
2006 में उनकी कंपनी शिखर पर थी इसलिए उन्होंने अपनी कॉस्मेटिक कंपनी लॉ रियल को लांच किया। और कुछ ही सालों में उसे 652 मिलियन पौंड करीब 4,772 करोड रुपए तक पहुंचा दिया अब वह इंग्लैंड की सबसे धनी महिला women’s हैं।
प्रेरणा
किसी मकसद को हासिल करने के लिए मेहनत करना जितना जरूरी है, उससे कहीं ज्यादा जरूरी है कठिन परिस्थितियों में खुद पर नियंत्रण रखना। क्योंकि प्रेरणा सिर्फ प्रेरणा नहीं होती बल्कि वह उस सोच से उपजती है जो किसी भी देश के आसपास मंडरा रहे खतरों को कम करने का दबाव बनाती है।
इसलिए प्रेरणा से प्रेरणा लें और खुद को डर से बाहर निकालें तब आप कठिन परिस्थितियों में भी खुद पर नियंत्रण कर सकेंगे।
2.स्मृति ईरानी। सास भी कभी बहू थी सीरियल से बनी चर्चित अभिनेत्री। women’s success stories।
स्मृति ईरानी का जन्म 23 मार्च 1977 को दिल्ली के एक साधारण परिवार में हुआ था। तब उनके पिता कोरियर कम्पनी ब्लेजफ्लैश की एजेंसी चलाते थे। लेकिन उनकी मां बंगाल की जानी मानी अभिनेत्री थी।
जिसकी वजह से स्मृति में एक्टिंग के गुण आ गए थे। इसलिए उन्होंने 16 साल की उम्र से ही ब्यूटी प्रोडक्ट बेचने शुरू कर दिए, और समय मिलने पर नाटकों में भी भाग लेना शुरू कर दिया था।
क्योंकि उनका मानना था, मेरा उद्देश्य सफलता पाने का है। इसलिए मैं हर पल नए रास्ते तलाशते रहती हूं, और खतरों से खेलती रहती हूं। फिर उन तक पहुंचने के आइडिया सोचती हूं।
मुंबई जानें का निकाला सही रास्ता।
स्मृति जब 18 साल की हुई तब वे मुंबई जाना चाहती थीं, लेकिन उनके परिवार वालों ने इस की सहमति नहीं दी। बाद में उन्होंने मिस इंडिया प्रतियोगिता में बिना बताए भाग लिया और फाइनल में पहुंच गई।
इस तरह स्मृति को मुंबई आने का मौका मिला। तब वे अपने पिता से कुछ रुपए लेकर मुंबई आ गई और प्रतियोगिता के अन्तिम दौर में 5प्रतियोगियों में एक बन गई।
उसके बाद उन्हें एक कमर्शियल एड मिला जिसने उन्हें फिल्मी बातें कार्यक्रम का एंकर बना दिया। फिर एकता कपूर के सुपरहिट सीरियल क्योंकि सास भी कभी बहू थी, में तुलसी का रोल मिला जो लगातार 7 सालों तक चला। लोगों को यह नाटक इतना पसंद आने लगा कि वे हर घर में तुलसी जैसी बहू की कामना करने लगे।
जब 2023 में भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें अपने दल में शामिल किया तब वे दिल्ली के चांदनी चौक से लोकसभा की सीट पर हार गईं। परन्तु वह निराश नहीं हुई और उस क्षेत्र में लगातार काम करती रहीं।
उसके बाद उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी उग्रया एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड शुरु की, जिसमें कुछ तुम कहो कुछ हम कहें, विडियो फिल्म प्रोड्यूस की और विरुद्ध सीरियल का निर्माण किया। जो लोगों को बहुत पसंद आया।
आजकल स्मृति अवसर को सफलता में बदलने का मौका तलाशती रहती हैं। क्योंकि वे जानती है कि फिल्मों से बेइंतहा दौलत कमाई जा सकती है।
शंका और आस्था?
आस्था आपके भविष्य की नई इबादत लिख सकती है। क्योंकि आस्था टूथब्रश के समान है। टूथब्रश जैसे दांतों को साफ करता है, वैसे ही आस्था दिल को साफ करती है। इसलिए मन से शंका निकाल दें कि में सफल नहीं हो सकता।
क्योंकि शंका बाधा देखती है, आस्था राह दिखाती है। शंका अंधेरी रात को देखती है, आस्था उजाला देखती है। शंका सवाल पूछती है, आस्था जवाब देती है। शंका कदम उठाने से डरती है, आस्था ऊंची उड़ान भरती ह
3.बेबी हाल्दार। साधारण महिला असाधारण हौसला। women’s success stories।
बेबी हाल्दार का जन्म 8 जुलाई 1974 को कोलकाता के एक गरीब परिवार में हुआ था। जब वह सात साल की थी तब उनके पिता घर छोड़कर चले गए थे। फिर उनकी मां ने 12 साल की उम्र में उनकी शादी कर दी, जबकि बेबी उस उम्र में शादी की ABCD भी नहीं जानती थीं।
पति और समाज ने किया प्रताड़ित।
थोड़े दिन तो अच्छे गुजरे बाद में पति उसे छोटी-छोटी बातों पर रोज-रोज पीटने लगा। इस बीच बेबी गर्भवती हो गई और 13 साल की उम्र में बेबी ने पहले बच्चे को जन्म दिया। उसके बाद भी पति का बेरहमी से पीटना जारी रहा।
एक दिन बेबी एक युवक से बातें कर रही थी तब उनके पति ने पत्थर से बेबी का सिर फोड़ दिया। तंग आकर बेबी ने घर छोड़ दिया और तीन बच्चों को लेकर दिल्ली के लिए निकल गई। किसी तरह वह दिल्ली तो आ गई लेकिन यहां भी उनका प्रताड़ित होना नहीं रुका।
दिल्ली में किया साफ सफाई झाड़ू लगाना, लिख दी अपनी दास्तां।
दिल्ली में बेबी घर घर जाकर साफ सफाई झाड़ू लगाने का काम करती थी। संयोग से एक दिन बेबी को गुड़गांव में एक रिटायर प्रोफेसर प्रबोध कुमार के घर काम मिला प्रोफेसर ने जब बेबी का दुखड़ा सुना तो वे आश्चर्यचकित रह गए। एक दिन उन्होंने बेबी से कहा तुम्हारे साथ जो कुछ भी हुआ तुम उसको लिखो।
बेबी हाल्दार मामूली पढ़ी लिखी थीं, उनकी लिखावट भी ठीक नहीं थी। व्याकरण तो पूरी तरह गड़बड़ थी, उसके बाद भी बेबी ने लिखना शुरू किया। तब प्रोफेसर साहब को यह उम्मीद नहीं थी कि बेबी की दास्तान किताब का रूप ले लेगी। फिर प्रोफेसर ने बेबी का हौसला बढ़ाया। अन्त में उनकी एडिटिंग रंग लाई और आलो अंधेरी उपन्यास प्रकाशित हो गया।
बेबी की कहानी हुई रातों रात वायरल।
उस किताब से बेबी की कहानी रातों रात सारे जहां में फैल गई। बाद में बेबी हाल्दार ने कहा था, कॉर्पोरेट की दुनियां हो या लेखन हर जगह नए विचारों की कद्र होती है। इसलिए मैने अपनी पुस्तक में वो सब लिखा जो सच था।
अब यह पुस्तक विश्व की बेस्ट सेलर पुस्तकों में गिनी जाती है। बेबी हाल्दार आजकल उन महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं, जो समाज के सबसे छोटे काम करती हैं। लेकिन भविश्य में कुछ कर गुजरने का सपना देखती हैं।
सीटी बड़े कमाल की।
सीटी बड़े कमाल की चीज है, लेकिन इसके बजने का मतलब अलग अलग है। बस की छोटी सीटी बजने का मतलब है नया सफर शुरू होना, और लम्बी सीटी का मतलब है सफर का समापन। यही वजह है एक प्यारी सी सीटी रोते हुए को हंसा देती है।
और एक मैलोडी की सीटी किसी युवती को जीवनभर का साथी बना देती है। सीटी मस्ती और उल्लास में ही नहीं बजती, बल्कि शांत मन होने पर भी बजती है। इसलिए जब तक सीटी है तब तक ऑल इस वेल है।
4.कमला परसाद। टोबैगो की पहली भारतीय प्रधानमंत्री। women’s success stories।
कमला परसाद बिशेसर का जन्म 22 अप्रैल 1952 में बिहार के धनबाद जिले में हुआ था। उनके पिता नौकरी के सिलसिले में टोबैको गए थे, इसलिए कमला परसाद की शिक्षा दीक्षा त्रिनिदाद में हुई।
उसके बाद वे त्रिनिदाद व टोबैको की पहली महिला प्रधानमंत्री चुनी गई। उनके नेतृत्व वाले पांच दलीय गठबंधन ने देश के मध्यावधि चुनाव में भारी सफलता हासिल की।
जीत के बाद उन्होंने अपने पहले सन्देश में कहा था, में जनता की शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुझमें विश्वास जताया जबकि मैं भारत की सन्तान हूं। लेकिन मेरे अन्दर टोबैको की राजनीति दौड़ती है, इसलिए मेरे राज में हर किसी को समान ओहदा और अधिकार मिलेंगे।
पहले त्रिनिदाद टोबैगो की राजनीति भारतीय और अफ्रीकी मूल के नाम पर बटी हुई थी। लेकिन कमला परसाद की जीत का स्वागत भारतीय संगीत से हुआ था। कुछ लोग कैरीबियाई ताल पर भी थिरके थे। कमला की यूनाइटेड नेशनल कांग्रेस के मुख्य समर्थन भारतीय मूल के त्रिनिदादवासी हैं।
लेकिन उनके गठबंधन में बहुनस्लीय कांग्रेस ऑफ द पीपल के साथ-साथ नेशनल ज्वाइंट एक्शन कमेटी द टोबैगो आर्गेनाइजेशन ऑफ़ द पीपल और मूवमेंट फॉर सोशल जस्टिस जैसी छोटी-छोटी पार्टियों भी शामिल है।
उनके गठबंधन ने करीब 70 फ़ीसदी सीटों पर कब्जा जमाया है। कमला परसाद पहले की सरकारों में भी अटॉर्नी जनरल और शिक्षा मंत्री रह चुकी हैं। फिर पूर्व प्रधानमंत्री वासुदेव पांडे को हराकर कद्दावर नेता की छवि बनाई। अब भारतीय संबंधों में भी नए आयाम जोड़ने की संभावना है।
उन्हें अपने भारतीय मूल पर बहुत गर्व है। और वह अनिवासी सम्मेलनों में उत्साह से भाग लेती हैं। वह कई बार भारत की यात्रा भी कर चुकी हैं उनकी जीत भारतीय महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी है।
अब वे कहती हैं, लोग हमेशा अपनी मनचाही चीज पाने का सबसे तेज और आसान तरीका खोजते हैं। वे दीर्घकालीन परिणामों की जरा भी चिंता नहीं करते। और वही काम करते हैं जिससे तुरंत फल मिले यह बुरी आदत है। इसे तुरंत बदलें वरना आप मनचाही सफलता पाने में सफल को सकते हैं।
होशपूर्वक व्यवसाय का चयन जोशपूर्वक सफलता।
होशपूर्वक अपने व्यवसाय का चयन करें, जोश पूर्वक सफलता का आयोजन करें। अपने कर्म को पुरुषार्थ समझे और कर्म को ही जीने का अर्थ समझे। फिर आपकी पहचान आपके नाम से नहीं बल्कि आपके काम से होगी। इसलिए काम में उतरे पहचान तो अपने आप ही बनती चली जाएगी।
5.अमृतानंदमई अम्मा। विश्व की पहली महिला अध्यात्म गुरु। women’s success stories।
अमृतानंदमई अम्मा का जन्म 27 सितम्बर 1953 को केरल के छोटे से गांव आलप्पड में एक गरीब मछुआरे के परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम सुगुनंदन और माता का नाम दयामती था।
इसलिए बचपन में उनका नाम सुधामणि रखा गया था। उनके पिता मछलियां बेचते थे, लेकिन अमृतानंदमई अम्मा ने उस घर में जन्म लेकर न केवल परिवार का उद्धार किया, बल्कि उस धरती को भी धन्य कर दिया। क्योंकि जब वह छह महीने की थीं, तब उन्होंने बोलना चलना सीख लिया था, और तीन साल की होते-होते उन्होंने भक्ति गीत गाने शुरू कर दिए थे।
लेकिन जब वे नौ साल की थीं, तब उनकी मां बीमार हो गई। जिसकी वजह से उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। वे सात भाई बहनों में सबसे छोटी थीं। पूरे परिवार का बोझ उन पर आ गया था।
खाने पीने से सम्बन्धित काम तथा पशुओं की देखभाल करती थीं। लेकिन जब भी उन्हें काम से फुर्सत मिलती तब वे अपने आराध्य देव श्री कृष्ण को अवश्य याद करती थीं। फिर जैसे तैसे उम्र बढ़ती गई प्रभु के प्रति उनकी आस्था भी गहरी होती गईं।
एक दिन उन्हें भगवान के दर्शन भी हुए, तब भगवान उनके घर अथिति बनकर भोजन करने आए थे। उसके बाद उन्होंने घर बार त्याग दिया और पूर्ण रूप से भगवान भक्ति में लीन हो गईं।
फिर उनके अनुयायियों ने माता अमृतानंदमई नाम से एक आश्रम की स्थापना की। उसके बाद उन्होंने अपने घर को माता अमृतानंदमई मठ में तब्दील कर दिया। बाद में अम्मा को दूसरे देशों में प्रवचन देने के लिए भी बुलाया गया।
अब उनके आश्रम में अनेक देशों के लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ रहते हैं। क्योंकि अम्मा ने विश्वधर्म संसद को सम्बोधित करते हुए कहा था। आपके भीतर एक संघर्ष चलता रहता है क्योंकि जब आपके मन का एक हिस्सा आपसे सही मुश्किल और आवश्यक कार्य करने को कहता है।
तब आपके मन का दूसरा हिस्सा आनंददायक आसान और महत्वहीन काम करने को कहता है। लेकिन आपको निर्णय लेना होता है की संभावनाओं तक पहुंचने के लिए कौन सा मार्ग ठीक है।
सफलता पाने के लिए चार चीजों का चयन करें।
किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए चार चीजों का चयन जरूर करें सौंदर्य यौवन शक्ति और धन क्योंकि ईश्वर ने इन्हें संभावना बनाकर हर मनुष्य को सौप है फिर आप जीवन के कोरे कागज पर जो चाहे लिख सकते हैं।
शक्ति की स्याही से भारी कलम जैसी चाहे पैसे चला सकते हैं और एक नई इबादत लिख सकते हैं। लेकिन शक्ति का गलत उपयोग करने पर आप तनाव में आ सकते हैं यानी कीचड़ बना या कमल बना दोनों आपके हाथ में है इसलिए अपनी शक्ति और ऊर्जा को पहचानें फिर उसका सही उपयोग करें।
Read more……….
समझ का सागर: बुद्धिमत्ता की कहानी।
भारत के पुरुषों और महिलाओं की प्रेरणादायक कहानियाँ।
यह कहानी पढ़ने के बाद सफलता आपके कदम चूमेगी।
भारतीय बॉलीवुड actors की सफलता की कहानी।2024
motivation speekar हर्षवर्धन जैन के सफलता की कहानी।