hindi motivational story with moral

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नकारात्मक और सकारात्मक भावना के परिणाम और दुष्परिणाम।

अपनी जिन्दगी को कैसे बदलें। hindi motivational story with moral।

 

अगर आप अपने दिमाग में उज्जवल और खुशियों भरी उम्मीदों का चित्रण करेंगे, तो अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए सही माहौल तैयार कर लेंगे।….. नॉर्मन विंसेंट पील..

अपने लिए संभव बात के लिए आपकी धारणाओं और उम्मीदों के आधार पर आप अपने बारे में जो सोचते हैं। या महसूस करते हैं।

उसी से तय होता है कि आप क्या कर सकते हैं, और आपके साथ क्या होता है। जब कभी भी आप अपने सोचने का स्तर ऊंचा उठाते हैं। आप अपनी जिंदगी के स्तर को बदल देते हैं, कई बार तो तत्काल।

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पूरे ब्रह्मांड में आपका केवल एक ही बात पर नियंत्रण है, आपकी सोच पर! आप तय कर सकते हैं कि किसी परिस्थिति में आपको क्या सोचा है।

आपके विचार और निजी घटना को लेकर आपकी समझ ही आपकी घटनाओं पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डालती है। आपके विचार और आपकी भावना ही आपके अगले कदम और उसके परिणामों को तय करते हैं। इस सब की शुरुआत आपकी सोच के साथ ही होती है।

सकारात्मक सोच। hindi motivational story with moral।

सकारात्मक विचार जीवन के स्तर को ऊंचा उठा देते हैं। वे आपको शक्ति देते हैं। और आपको ज्यादा ताकत और आत्मविश्वास का एहसास कराते हैं। सकारात्मक सोच महज़ एक उत्साह बढ़ाने वाला विचार नहीं है।

इसके आपके व्यक्तित्व, आपके स्वास्थ्य, आपके उत्साह और आपकी स्रजनात्मकता पर भी पर्याप्त और रचनात्मक प्रभाव होते हैं। आप जितने ज्यादा सकारात्मक और आशावादी होंगे। जिंदगी के हर क्षेत्र में उतने ही ज्यादा खुश होंगे।

नकारात्मक सोच के परिणाम ठीक उल्टे होते हैं। वो आपको शक्तिहीन बना देती है, और आप ज्यादा कमजोर और आत्मविश्वास में कमी महसूस करने लगते हैं। जब कभी भी आप कोई नकारात्मक बात सोचते या बोलते हैं। तो आप अपनी शक्ति का एक अंश गंवा देते हैं।

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आपको गुस्सा आने लगता है ।और आप बचाव की मुद्रा में आ जाते हैं। आप हताश और दुखी महसूस करने लगते हैं। कुछ वक्त के बाद नकारात्मक सोच के कारण आप बीमार भी पढ़ सकते हैं। और अपने संबंधों में भी जहर घोल सकते हैं।

सकारात्मक सोच आपको मानसिक स्वास्थ्य और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की ओर ले जाती है। नकारात्मक सोच मानसिक बीमारी और प्रभावहीनता की ओर ले जाती है।

इसलिए अगर आप एक विलक्षण जिंदगी जीना चाहते हैं। तो आपका लक्ष्य सकारात्मक भावनाओं को जगाने और नकारात्मक भावनाओं से निजात पाने का होना चाहिए।

नकारात्मक भावनाओं का सफाया, बेहतर स्वास्थ्य, खुशी और निजी बेहतरी की दिशा में आपका सबसे महत्वपूर्ण इकलौता कदम साबित हो सकता है। हर बार जब कभी भी आप अपनी सोच और भावनाओं पर पूरा नियंत्रण रखते हैं। और खुद को सकारात्मक रखने के लिए अनुशासित कर देते हैं।

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तो आपकी भीतरी और बाहरी जिंदगी के स्तर मैं सुधार होता है। नकारात्मक भावनाओं के अभाव में, आपका दिमाग अपने आप ही सकारात्मक भावनाओं से भर जाता है। और इससे आपके भीतर खुशी और पूर्णता का एहसास उमड़ने लगता है।

आप अपने विचारों को चुन सकते हैं। hindi motivational story with moral।

प्रतिस्थापन का नियम (Law of substitution) कहता है,  आपका दिमाग एक वक्त में एक ही विचार रख सकता है। सकारात्मक या नकारात्मक, आप जब भी चाहे नकारात्मक सोच को सकारात्मक सोच के साथ बदल सकते हैं।

आप इस नियम को उस वक्त जानबूझकर सकारात्मक सोच के साथ लागू कर सकते हैं जब आप किसी बात पर गुस्सा या नाखुश हों।

आदत का नियम (Law of habit) कहता है, जब आप किसी भी विचार या काम को बार-बार करते हैं। तो यह आपकी नई आदत बन जाता है। जब आप बार-बार सकारात्मक तरीके से ही प्रतिक्रिया देने लगते हैं।

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तो आप अपने अवचेतन मस्तिष्क पर पूरा नियंत्रण पा लेते हैं। जल्द ही यह स्वाभाविक प्रक्रिया बन जाता है। और आपके लिए इसी तरह से सोचना और काम करना आसान हो जाता है।

इच्छाशक्ति और धारणाओं के साथ आप सोचने और काम करने की एक आदत विकसित कर लेते हैं। इस नियम को लागू करके आप पूरी तरह से सकारात्मक इंसान बन सकते हैं। और अपनी जिंदगी को ही बदल सकते हैं।

अपने नकारात्मक विचारों को ख़त्म कर दें। hindi motivational story with moral।

आपने सभी नकारात्मक विचार बचपन में ही सीख लिए होते हैं। और जो सीख लिया गया उसे भुलाया भी जा सकता है। कई बार तो बहुत ही जल्दी से। आप किसी भी ऐसी आदत या कौशल को सीख सकते हैं, जिसे आप जरूरी समझते हैं।

खासतौर पर आप लोगों, पैसे, स्वास्थ्य के बारे में सोचने के सकारात्मक और सृजनात्मक तरीके खोज सकते हैं। अपने भीतर छिपी संभावनाओं और कामयाबी की राह में रुकावट डालने वाली बातों के बारे में भी आप ऐसा ही कर सकते हैं।

कई नकारात्मक विचार और व्यवहार का आधार ही गलत होता है। कई बार तो किसी विषय पर नकारात्मक विचार या किसी व्यक्ति के बारे में गलत व्यवहार किसी एक नई जानकारी के बाद ही बदल जाता है।

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आपको यह पता चलता है कि आपकी अपने या किसी व्यक्ति के बारे में सोच गलत थी। परिणामस्वरूप एक पल में ही आप अपनी सोच को बदल सकते हैं, इस संभावना के लिए तैयार रहें।

नकारात्मक भावनाएं केवल इसीलिए जिंदा रहती हैं, क्योंकि हम ही उनको जिंदगी देकर बाद में जिंदा भी रखते हैं। लगातार खुद को नाराज करने वाली नापसंद बातें करके हम उनको जिंदा रखते हैं। सौभाग्य बस आप भावनाओं के नियम को लागू करके इस स्थिति को बदल सकते हैं, यह नियम कहता है।

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एक सशक्त भावना हमेशा एक कमजोर भावना पर हावी रहेगी और जिस किसी भी भावना पर आप ज्यादा जोर देंगे वह उतनी ही मजबूत होती जाएगी।

इसका मतलब है कि आप जिस किसी भावना पर जोर देंगे, वह बढ़ती जाएगी और एक दिन उस क्षेत्र में आपकी सोच पर पूरी तरह से हावी हो जाएगी। अगर आप खुद को नाराज या दुखी कर देने वाली व्यक्ति या परिस्थिति पर मानसिक ऊर्जा खर्च करना बंद कर देते हैं।

और उसके बारे में सोचने तक से परहेज करने लगते हैं, तो उस परिस्थिति या व्यक्ति से जुड़ी वो भावना आखिरकार दम तोड़ देती है। ठीक वैसे ही जैसे कि आग बिना ईंधन के अंततः बुझ जाती है।

आप इस बात का अनुभव पहले भी कई बार कर चुके हैं। उदाहरण के लिए, जैसे ही हम बड़े होते हैं हमारा वास्ता विपरीत लिंग के लोगों के साथ पड़ता है। इनमें से अधिकांश के साथ वक्त गुजर जाने पर भी हम ताल मेल नहीं बिठा पाते। तब यह संबंध टूटते हैं, तो हमें भावनात्मक तौर पर थकान और ठेस का एहसास होता है।

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अधिकांश मामलों में तो हम दुखी, गुस्सा, हताशा, काफी थकान और आहत होने जैसी भावनाओं से दो-चार होते हैं। यह एहसास एक तय वक्त तक हमारा पीछा नहीं छोड़ता। फिर हम इसे उबर जाते हैं।

हमारी मुलाकात किसी और से होती है धीरे-धीरे हम काफी दुखद अंत वाले पिछले अनुभव को भूल जाते हैं। जब हम उस पीछे छूट गए व्यक्ति से कई महीनों या बरसों के बाद मिलते हैं। तो हमें एहसास भी नहीं होता कि किसी वक्त हम उससे कितने भावनात्मक तरीके से जुड़े थे।

ऐसा इसलिए कि हमने उसके बिछड़ने के भाव को ज्यादा दिनों तक अपने सीने से लगाकर नहीं रखा। और धीरे-धीरे वह भावना ही पूरी तरह खत्म हो गई। यह प्रतिस्थापन के नियम के साथ-साथ आपकी अपनी जिंदगी में भावनाओं को समझाने वाला एक उदाहरण है।

नकारात्मक भावनाओं के स्रोत। hindi motivational story with moral।

नकारात्मक भावनाओं के मूलतः चार आधारभूत कारण है।रूसी दार्शनिक पीटर ओस्पेनस्की की किताब “इन सर्च ऑफ द मिराक्युलस” के अनुसार ये कारण हैं:- (1) स्पष्टीकरण (2) पहचान (3) स्वार्थी सोच और (4) दोषारोपण।

अगर आप योजनाबद्ध तरीके से नकारात्मक भावनाओं के इन कारणों को अपनी जिन्दगी से निकाल बाहर करेंगे तो अपनी सोच और अपनी जिंदगी बदलने की दिशा में यह आपकी जोरदार छलांग होगी।

स्पष्टीकरण देना छोड़ें। hindi motivational story with moral।

अपनी नाराजगी या अप्रसन्नता को न्यायोचित ठहराने का प्रयास स्पष्टीकरण की शुरुआत होता है। आप खुद से ही नहीं हर उस व्यक्ति को जो इसे सुनना चाहे, यह बताते फिरेंगे कि आपके साथ कितनी बदसलूकी की गई है। और दूसरे व्यक्ति का व्यवहार कितना खराब था।

आप दिमाग में लगातार इस घटना को दोहराते रहते हैं, आप अपनी नाराजगी को जायज ठहराने के लिए तमाम कारणों को दोहराते रहते हैं। जितनी बार आप उस व्यक्ति या उस घटना के बारे में सोचते हैं, आपका पारा चढ़ जाता है।

आप ऐसा महसूस करने लगते हैं, कि मानो गुस्सा करना आपका अधिकार हो। जैसे आपने इसके लिए कोई भुगतान किया हो। खास तौर पर इसलिए भी क्योंकि आपको लगता है, कि अपनी नजर में आप एक अच्छे और बेदाग इंसान हैं।

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आप तर्क देने और अपनी बात को सही साबित करने के प्रयास की प्रक्रिया को उसमें भाग न लेकर आसान बनाने का प्रयास करते हैं। परिणाम यह होता है कि सही मायने में आप अपनी बात को सही साबित करने से हाथ खींच लेते हैं।

आप अपने काबिल दिमाग का इस्तेमाल ऐसे कारणों को सोचने के लिए करने लगते हैं। जो कि आपकी नकारात्मक बात को सही साबित नहीं करते। याद रखिए नकारात्मक भावनाओं से आपका भला नहीं होता।

वे तो पूरी तरह से विध्वंसक हैं। उनके दूसरे व्यक्ति या स्थिति पर कोई भी असर नहीं पड़ता। वे तो आपकी ही खुशी और आत्मविश्वास को कम कर देती हैं। आपको जिंदगी के अन्य क्षेत्रों में भी कमजोर और कम प्रभावी बना देती हैं।

गुस्से और नाराजगी को सही साबित करने की बजाय, आपको अपनी बुद्धि और कल्पनाशीलता का इस्तेमाल दूसरे व्यक्ति को माफ करने या फिर अप्रसन्नता भरी परिस्थिति को बदलने के लिए करना चाहिए।

उदाहरण के लिए: अगर कोई ट्रैफिक में आपका रास्ता काट जाए, तो गुस्सा होने की बजाय आप कहें। कोई बात नहीं अगली बार मैं ज्यादा सावधानी बरतूंगा मुझे लगता है, कि उसका दिन खराब गुजारा है, या फिर उसे निश्चित ही किसी महत्वपूर्ण काम के लिए देरी हो रही होगी।

दूसरों को समझकर माफ़ करें। hindi motivational story with moral।

क्योंकि आपका दिमाग एक वक्त में केवल एक ही विचार को रख सकता है। इसलिए जिस पल आप दूसरों के पक्ष को समझकर उनको माफ करना शुरू कर देते हैं। आप गुस्से और अफसोस को बढ़ावा देने वाले ईंधन की आपूर्ति को बंद कर देते हैं।

आप दिमाग पर फिर नियंत्रण हासिल कर लेते हैं। आप खुद को शांत और सकारात्मक रखते हैं। कुछ देर बाद परिस्थिति बदल जाती है, और आप उसके बारे में सब कुछ भूल जाते हैं। एक नकारात्मक विचार को सकारात्मक विचार से बदलकर आप नकारात्मक विचार से छुटकारा पा लेते हैं। फिर भले ही वह कुछ भी रहा हो।

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अगर आप जिंदगी में किसी बड़ी समस्या का सामना कर रहे हैं। जैसे: तलाक, नौकरी छूटना या निवेश में नाकामी तो भी यही नियम सही साबित होता है। अपने और किसी भी ऐसे व्यक्ति से जो सुन रहा हो। उसके सामने यह बताना बंद कर दें कि आपका गुस्सा या अप्रसन्नता क्यों जायज है।

इसकी बजाय मामले में लिप्त दूसरे व्यक्ति के लिए सफाई देना शुरू कर दें। तब तक जब तक की यह नकारात्मकता ही खत्म ना हो जाए। जब नकारात्मक भावना की आग पूरी तरह से बुझ जाए। तो आप अपना ध्यान किसी और सकारात्मक बात पर दे सकते हैं।

कामयाबी और प्रसन्नता के लिए सबसे जरूरी नियम है, ऐसी किसी भी बात को लेकर विचलित होना या उसकी आलोचना करना ठीक नहीं। जिस पर आपका कोई भी नियंत्रण न हो।

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किसी भी व्यक्ति की किसी भी ऐसी बात के लिए आलोचना न करें जिसे वह बदल ना सकता हो। एक विख्यात नियम के मुताबिक अगर कोई समाधान उपलब्ध न हो तो समझिए कि कोई समस्या भी नहीं है।

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