2024 most motivation success story in hindi। यह कहानी पढ़ने के बाद सफलता आपके कदम चूमेगी।
2024 most motivation success story in hindi। जैसे कि आज के समय में हर कोई चाहता है कि प्रोफेशन कोई भी हो लेकिन सफलता मिलनी चाहिए। लेकिन सफल होने के लिए क्या जरुरी है। यह किसी को नहीं जानना है।
जैसे कि किसी सफल विद्वान ने कहा है? भयभीत नजरों से भविष्य को देखना कभी सुरक्षित नहीं होता। दुनिया में सबसे ज्यादा झूठ आपके डर बोलते हैं।
डर गद्दार है वह शरीर के अंदर की बारूद को भिगो देता है। लेकिन प्रार्थना करने से प्रगति होती है। यह जिंदगी की चुनौतियों से ऊपर उठाती है। और विजय पाने के साधनों को जुटाती है।
प्रार्थना की ऊर्जा सबसे सशक्त ऊर्जा है। शास्त्रों में लिखा है कि जब आप योजनाएं बनाते हैं तो शैतान मुस्कुराता है। जब आप व्यस्त होते हैं तो वह हंसता है। लेकिन जब आप प्रार्थना करते हैं तो वह डरकर भाग जाता है।
बाज अकेला उड़ता है, कौए झुण्ड में उड़ते हैं। इसलिए यह जान लें कि बचा कैसे जाता है। लेकिन दूसरों के अनुकरण में इतने न उलझे कि आप खुद की राह भटक जाए। यह दुनिया खुद के दम पर चलती है।
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इसलिए आम रास्ते छोड़कर कभी-कभी जंगल में भी जाएं वहां आपको कोई ना कोई ऐसी चीज जरूर मिलेगी जो आपने पहले कभी नहीं देखी होगी। फिर वह खोज आपको दूसरी खोज की तरफ ले जाएगी। तब आपके मस्तिष्क में ऐसा विचार आएगा जो आपकी किस्मत बदल देगा और आपको एक सफल रास्ते की तरफ ले जाएगा।
कुछ सफल लोगों की प्रेरणादयक कहानी।
वासु भगनानी की 2024 most motivation success story in hindi।
वासु भगनानी मेहनत से बने फिल्मों के सौदागर, 2024 most motivation success story in hindi। वासु भगनानी का जन्म लाहौर में 19 जनवरी 1946 को हुआ था। फिर उनका परिवार देश की बंटवारे के वक्त सरहद पार करके भारत आया था।
इसलिए वासु भगनानी की परवरिश कोलकाता की गलियों में हुई। तब उनके पिता साड़ियों का कारोबार करते थे। और उन्हें साड़ी पहनाकर सड़क पर लगे स्टाल के पास खड़ा कर देते थे।
फिर वासु पच्चीस पच्चीस चिल्लाते थे जो एक साड़ी की कीमत होती थी। इस तरह शाम तक उनके पिता इतना कमा लेते थे की रात चैन से गुजर सके। उसके बाद वासु भगनानी को अपनी मेहनत पर यकीन हो गया।
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और छोटी सी उम्र में ही यह बात सीख ली की कामयाबी का कोई शॉर्टकट नहीं होता। फिर वे घर से भागकर दिल्ली आ गए। और अग्रवाल एसोसिएट में पार्टनर बनकर प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करने लगे।
उन दिनों दिल्ली का यमुनापार इलाका तेजी से तरक्की कर रहा था। तब विकास की रफ्तार इतनी तेज थी कि यमुनापार की मुख सड़क का नाम ही विकास मार्ग रख दिया गया था।
उस विकास मार्ग ने वासु भगनानी को दौलतमंद बना दिया। फिर वे प्लॉट खरीद कर कोठियां और फ्लैट बनाने लगे तब वे डी.टी.सी. की बसों में सफर करते थे, pऔर सीमेंट बदरपुर का हिसाब रखते थे।
फिर वह ऐसे ही एक दिन घूमने फिरने के लिए मुंबई गए। तब वे मुंबई में सेंट्रल स्टेशन के सामने बने एक सस्ते से होटल में ठहरे थे। क्योंकि उनका मानना था आपकी योग्यता का स्तर चाहे कुछ भी हो। लेकिन अंदर छिपी प्रतिभा का होना जरूरी है। फिर वही प्रतिभा आपको मनचाही सफलता पाने का रास्ता दिखाती है।
उन दिनों फिल्म इंडस्ट्री में संगीत की लहर चल रही थी। टिप्स और टी सीरीज जैसी नई कंपनियां कैसे बेचकर करोड़ों कमा रही थी। वासु को यह बिजनेस पसंद आया, फिर उन्होंने आव देखा ना ताव कैसेट के खोल बनाने का कारखाना लगा दिया। और संगीत कंपनी को कैसेट के खोल बेचने लगे जिससे वासु भगनानी ने करोड़ कमाए। और फिल्म निर्माण में कूद पड़े अब वासु भगनानी देश के बड़े फिल्म निर्माताओं में गिने जाते हैं।
राकेश मेहरा। 2024 most motivation success story in hindi।
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स्ट्रगल में तलाश किया सफलता को। राकेश मेहरा का जन्म 7 जुलाई 1963 को पुरानी दिल्ली में हुआ था। तब किसी को मालूम नहीं था की पढ़ाई में सिर्फ पास होने वाला निम्न मध्यम परिवार का आम लड़का एक दिन सफलता की ऊंचाइयों को छूएगा।
लेकिन उन्होंने वह कर दिखाया जिसे लोग चमत्कार कहते हैं। क्योंकि प्रकाश मेहरा ने खुद को जिंदगी की कसौटी पर इतना घिसा कि वह हीरा बनकर ही निकले। हालांकि चांदनी चौक की तंग गलियों में पले बड़े राकेश का बचपन भी उन तमाम बच्चों की तरह था, जो तंगहाली में बोझ बनकर जवानी की राह ताकते निकल जाती है।
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उनके पिता होटल में नौकरी करते थे और 500 रुपए महीना कमाते थे। उनकी सैलरी से तीन बच्चों की पढ़ाई और घर खर्च मुश्किल से चल पाता था। इसलिए राकेश मेहरा ने नवमी क्लास से ही नौकरी शुरू कर दी थी।
कभी ऐड एजेंसी में तो कभी टूरिस्ट कैंप में समर जॉब। उससे वे महीने के करीब हजार से 1500 रुपए कमा लेते थे ताकि वह अपने पिता की कुछ मदद कर सकें।
फिर पासिंग मार्क्स से श्रीराम कॉलेज से B.A पास किया और 352 रुपए महीने में सेल्समैन की नौकरी करने लगे। तब वे घर-घर जाकर वैक्यूम क्लीनर बेचते थे। और चिलचिलाती धूप तथा बारिश में भारी भरकम सूटकेस उठाकर दिल्ली की बसों में धक्के खाते थे।
और कहते थे दुनिया में कोई ऐसा काम नहीं जो मैं नहीं कर सकता। मैं सब कुछ कर सकता हूं, लेकिन काम वही करूंगा जो मुझे बड़ी सफलता दिलाए ताकि आने वाली कई पीढ़ियां मुझे याद करें।
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हमेशा दिल की सुनने वाले राकेश का मन वहां नहीं लगा। और कुछ छोटे-मोटे काम करने के बाद उन्होंने एड एजेंसी ज्वाइन कर ली। वहां उन्होंने हीरो होंडा के लिए पहला ऐड बनाया वह ऐड हिट हो गया।
उन्हीं दिनों एक विज्ञापन के सिलसिले में प्रहलाद कक्कड़ दिल्ली आए। उन्होंने राकेश का काम देखा और कहा तुम्हें मुंबई आ जाना चाहिए। तब जमी जमाई नौकरी छोड़कर राकेश मुंबई चले गए।
और अमिताभ बच्चन को लेकर अक्स बनाई लेकिन सफलता उन्हें रंग दे बसंती और दिल्ली 6 से मिली। अब वे सफल निर्देशकों में गिने जाते हैं।
ब्रूस ली की सफलता की अदभुत कहानी 2024 most motivation success story in hindi।
एक्सन का दूसरा नाम सफलता:- ब्रूस ली की सफलता की कहानी अदभुत है, जिससे एक सीख मिलती है कि जिन्दगी में नामुमकिन कुछ भी नहीं। बस एक बार दिल में ठान लो कि मुझे यह करना ही है। फिर चाहे कितनी भी मुस्किले क्यों ना आ जाएं, लेकिन में करके ही रहूंगा। आइए एक नज़र डालते हैं ब्रूस ली की कहानी पर।
ब्रूस ली का जन्म अमेरिका के शहर सैन फ्रांसिस्को में 27 नवंबर 1940 को हुआ था। लेकिन एक साल की उम्र में वे अपने चीनी माता-पिता के साथ हांगकांग चले गए थे। वहां उन्होंने बाल कलाकार के रूप में लगभग 20 फिल्मों में काम किया।
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उसके बाद अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए 18 साल की उम्र में भी वापस अमेरिका आ गए और वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से दर्शनशास्त्र में ग्रेजुएशन करने लगे।
वहां उन्होंने हांगकांग की विंग चुन नामक मार्शल आर्ट को फाइटिंग स्टाइल जोड़कर एक नई मार्शल आर्ट जीत कुने दो डेवलप की। जिसे वे अमेरिका के पश्चिमी तट पर बसे लोगों को दिखाते थे।
और कहते थे कुछ नया सीखो और सोचो कि उसे बेहतर तरीके से कैसे किया जाए। फिर सफलता आपके कदम चूमेगी यह मेरा अनुभव है जिसका आप फायदा उठा सकते हैं।
फिर जब अमेरिका में पॉप संस्कृति का विस्तार हुआ, तब उन्होंने हॉलीवुड के स्टीव मैक क्वीन और जेम्स कोबर्न जैसे अभिनेताओं को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दी। लेकिन ट्रेनिंग देते देते ब्रूस ली का झुकाव फिल्मों की तरफ हो गया। पहले उन्हें वहां की फिल्मों में छोटी-छोटी भूमिकाएं मिलीं।
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परंतु कोई खास कामयाबी नहीं मिली। क्योंकि उन फिल्मों में वे फाइट एडवाइजर के रूप में या फिर खलनायक के चमचे के रूप में काम करते थे। फिर 1966 की टीवी सीरीज ‘द ग्रीन हारनेट, में ब्रूस ली ने ‘केटो, नामक पात्र की भूमिका की जो हीरो का सहायक था।
उसके बाद उन्होंने एक जासूस फिल्म मार लो बे मैं जेम्स कार्बन के साथ छोटा सा रोल किया था लेकिन उन्हें मजा नहीं आया फिर भी वापस हांगकांग आ गए वहां उन्हें वे ऑफ द ड्रैगन फिल्म में एक जबरदस्त रोल मिला जिसे ब्रूस ली को सुपरस्टार बना दिया बाद में उन्होंने खुद कई एक्शन फिल्में बनाएं जो सुपरहिट रही फिर वार्नर ब्रदर्स की फिल्म एंटर द ड्रैगन आई जिसमें उन्हें अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में भी लोकप्रिय बना दिया।
अब ब्रूस ली इस दुनिया में नहीं है लेकिन आज भी लोग उनके एक्शन के दीवाने हैं। और उन्हें अपना आइकॉन मानते हैं।
ब्रूस ली की एक प्रेरणा। most motivation success story।
2024 most motivation success story in hindi। यदि आप सर्वश्रेष्ठ के अलावा किसी दूसरी चीज को स्वीकार करने से इनकार कर देते हैं, तो आपको यह मिल भी जाती है।
इसलिए सर्वश्रेष्ठ के बारे में सोचें सर्वश्रेष्ठ कम करें और सर्वश्रेष्ठ की आशा करें क्योंकि उत्कृष्टता कभी भी संयोग से नहीं आती उसे सीखना पड़ता है। यानी जिस काम को आप कल पर टालना चाहते हो उसे आज ही कर दें।
यदि आप काम से भाग रहे हैं तब वे काम शिकारी कुत्ते की तरह आपके पीछे पड़े रहेंगे। तभी तो न्यूटन ने कहा था कि आप जिस काम से बचते हैं वह ना चुकाए गए कर्ज की तरह होता है।
चार्ली चैपलिन। most motivation success story।

दुनिया को हंसाने वाला नेता:- चार्ली चैपलिन का जन्म का नाम चार्ल्स स्पेन्सर चैपलिन था। चार्ली चैपलिन का जन्म 16 अप्रैल 1889 को लंदन में हुआ था। उनकी मां गायिका थीं, लगातार गाने से उनकी आवाज खराब हो गई थी।
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फिर भी वे थियेटर में गाती थीं। कभी कभी तो उनकी आवाज बीच में ही अटक जाती थी। सिर्फ फुसफुसाहट ही रह जाती थी। जिसकी वजह से चैपलिन को पांच साल की उम्र में ही अपनी मां के साथ थियेटर जाना पड़ा था।
एक दिन वे स्टेज के गलियारे में खड़े थे कि अचानक उनके कानों में मां की थरथराती कांपती और खोती आवाज आई। लोग हंसने लगे फब्तियाँ कसने लगे। उन दर्शकों में ज्यादातर फौजी थे।, इसलिए थिएटर के मैनेजर ने चैपलिन को स्टेज पर जाने की सलाह दी, ताकि स्टेज खाली न रहे।
फिर कब फ्लड लाइट की चमक में चैपलिन ने गाना शुरू किया, तब उनके गाने पर सिक्के फेके जाने लगे। सिक्कों को देखकर चैपलिन ने बोला, मैं पैसे पहले उठाऊंगा बाद में नाचूंगा,गाऊंगा।
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वह उनकी मां का स्टेज पर आखिरी कार्यक्रम था, और चैप्लिन का पहला। इसलिए चैपलिन ने अपनी आत्मकथा में लिखा है? मां की मृत्यु के बाद मैने झाड़ फानूस की दुकानों पर नौकरी की फिर सेल्समैन बनकर बिस्किट साबुन और मोमबत्ती बेची।
एक डॉक्टर के यहां भी मैने काम किया जहां मुझे मरीजों के पेशाब के बर्तन धोने पड़ते थे। और 10-10 फीट ऊंची खिड़कियों को भी धोना पड़ता था।
अपने बीते दिनों के बारे मैं चैपलिन ने एक बार बताया था। कि मैने रुमी बिंक्स नामक आदमी को देखकर उसे अपनाया था। बताते हैं रूमी मेरे चाचा के पब के बाहर कोचवानों के घोड़े संभाल कर रखने का काम करता था।
वह नाटा सा आदमी था। लेकिन लंबे आदमी की पतलू पहना था। उसके पांव फूले हुए थे, जिसे वह घसीट कर चलता था। मुझे उसकी चाल देखकर बड़ा मजा आता था। इसलिए मैंने लोगों को हंसाने के लिए उसकी स्टाइल अपनाई।
उसके बाद चैपलिन लोगों के लिए एक तरह का मनोरंजन बन गए। आज भी लोग चार्ली चैपलिन के video देखकर मनोरंजन करते हैं, और मजे लेते हैं।
एक बार चैपलिन गांधी से मिले थे फिर उनके विचारों पर मॉडर्न टाइम्स फिल्म बनाई थी। जो लोगों को खूब पसंद आई थी, उसके बाद चैपलिन दुनिया के महानतम अभिनेताओं में गिने जाने लगे। क्योंकि वे रोते हुए लोगों को अपनी हरकतों से हंसा देते थे।
चार्ली चैपलिन की प्रेरणा। motivation success story।
ईर्ष्या करना ठीक वैसा ही है, जैसे कि आप किसी कुत्ते को इसलिए काट लें कि उसने आप को काटा है। इसलिए ईर्ष्या से अब तक कोई समृद्ध नहीं हुआ।
कल्पना करें कि कोई खिलाड़ी पूरी तेजी से दौड़ रहा है, और वह दूसरे खिलाड़ी से आगे निकल जाता है। लेकिन जब वह पीछे मुड़कर देखने लगता है। तब उसकी रफ्तार धीमी हो जाती है और वह लड़खड़ाने लगता है।
यानी ईर्ष्या को फलने फूलने का मौका देना। जब भी कोई ऐसा करता है अपने रास्ते में रूकावटें पैदा कर लेता है। आपको सर्बश्रेष्टता हासिल करनी है, तो आप कभी भी ऐसा न करें बर्ना इसे नफरत और प्रतिशोध का समर्थन मिल जायेगा। जो सफलता के रास्ते की सबसे बड़ी रुकावट है।