Doulat our kamyabi success motivation story।

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दौलत, कामयाबी, और भौतिक सुख पाना है तो इसे जरूर पढ़ें। Doulat our kamyabi success motivation story।

सभी महान खोजों और सभी उपलब्धियों के मूल विचार हैं, दौलत, कामयाबी, और भौतिक सुख।

कोई भी एक प्रण लो।

यहां आप कुछ ऐसी, आसान, व्यावहारिक, कारगर तकनीक, का इस्तेमाल सीखेंगे, जिनको की हर क्षेत्र में कामयाब पुरुषों और महिलाओं ने आजमाकर अपने इर्द-गिर्द मौजूद लोगों से ज्यादा ऐसी उपलब्धियां हासिल की है। जिनकी वे खुद या दूसरे बस कल्पना ही कर सकते थे।

लोग जिनके केवल सपने ही देखा करते थे। आप सीखेंगे की कैसे अपनी ख्वाहिशों और आकांक्षाओं को बढ़ाते हुए परंपरागत सोच के बंधनों को तोड़ा जा सकता है। ताकि आप चमत्कारिक रूप से हर उस लक्ष्य को हासिल कर सकें जो कि आप अपने लिए निर्धारित कर सकते हैं।

दिमागी सोच का युग।

हम भौतिक सीमा वाली दुनिया को छोड़कर अब एक ऐसी दुनिया में आ गए हैं। जहां सब कुछ दिमागी सोच पर ही निर्भर है। हम बातों की दुनिया से निकल कर मानसिक युग में आ गए हैं।

सोच और दिमाग का युग, दौलत और मौके आपके भीतर आपकी सोच के भीतर छिपे हुए हैं। ना कि उन परिस्थितियों में जो कि आपने जुटाई हैं। आपका भविष्य आपकी इस काबिलियत पर निर्भर है।

कि आप अपने दिमाग और बुद्धि का अपने काम और जिंदगी के लिए किस तरह से इस्तेमाल करते हैं। ना कि इस बात पर कि आप अपने वर्तमान काम या परिस्थिति में क्या कर रहे हैं।

क्योंकि स्वास्थ्य, दौलत और खुशी मूल तौर पर दिमागी बातें हैं। इसलिए आप अपने लिए कितना हासिल कर सकते हैं, इसकी कोई स्पष्ट सीमा नहीं है।

तीन प्रमुख बातें।

हमारी आज की दुनिया मैं तीन प्रमुख ताकतें सक्रिय हैं। जो जिस चीज को छूती हैं बदल देती हैं। और चंद रचनात्मक लोगों के लिए असीमित मौके उपलब्ध कराती हैं। यह तीन ताकतें सूचना, प्रौद्योगिकी और प्रतिस्पर्धा में जबरदस्त बढ़ोतरी देती हैं। आइए जानते हैं वह तीन प्रमुख ताकतें।

  • सूचना और जानकारी का विस्फोट?

कंप्यूटर की सूचना को तेज गति से प्रोसेस करने की काबिलियत इंटरनेट और वायरलेस तंत्र के साथ मिलकर सूचना क्रांति ने हर क्षेत्र में जानकारी में हर वर्ष दो से तीन गुना इजाफे की शक्ति दे दी है।

आज तक जितने भी विचारक, आविष्कारक, इंजीनियर, वैज्ञानिक, लेखक, उद्योगपति और रचनाकार हुए हैं। उनमें से 90 फ़ीसदी तो आज ही मौजूद हैं। और काम कर रहे हैं, उनके द्वारा किए जा रहे काम के परिणाम अन्य लोगों को तुरंत हासिल हो जाते हैं। और इस तरह से उत्पादन में दो से तीन गुना तक का इजाफा हो रहा है।

  • प्रौद्योगिकी का विकास?

प्रौद्योगिकी और तेज गति के कंप्यूटरों के विकास की विस्फोटक गति चौंकाने वाली है। आज आप थोड़े से पैसे में ही दुनिया भर में दर्जनों सैकड़ो या हजारों लोगों को ईमेल के जरिए अपना संदेश एक साथ भेज सकते हैं।

वर्ल्ड वाइड वेब आपका दुनिया भर में लाखों इंटरनेट यूजर के साथ पलक झपकते संपर्क बना देता है। और साथ ही पचास हजार से ज्यादा लायब्रेरी और रिसर्च इंस्टीट्यूट से संचित ज्ञान और जानकारी को भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

आंकड़ों के तुरंत आदान-प्रदान के कारण आर्थिक बाजार में प्रतिदिन खरबों डॉलर का कारोबार हो जाता है। कई बार तो चंद सेकंड में इसकी वजह से देश को अपनी मुद्रा और अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण में भी मदद मिलती है।

इक्कीसवीं सदी में आपके पास एक माइक्रोचिप के साथ एक ऐसा लैपटॉप कंप्यूटर होगा, जो की एक सेकेंड में एक अरब कमांड को भी प्रोसेस कर सकेगा। इसकी बैटरी की उम्र ज्यादा होगी, और इसमें ही बिल्ट-इन टेलीफोन होगा।

जो की सेल फोन और सेटेलाइट से संपर्क के जरिए आपको दुनिया के किसी भी कोने से कभी भी चंद सेकंड में ही जोड़ देगा। आपके पास एक ऐसा निजी टेलीफोन नंबर होगा, जिस पर दुनिया के किसी भी कोने से कोई भी कभी भी आपसे संपर्क कर सकेगा।

फिर भले ही आप उसके देश से बाहर ही क्यों ना हो। और यह भी संभव है, कि यह टेलीफोन आपकी कलाई में ही आसानी से वैसे ही फिट हो जाएगा। जैसे कि आपकी हाथ घड़ी फिट हो जाती है।

  • फलती फूलती प्रतिस्पर्धा?

आज हमारी जिंदगी के संचालन में तीसरी बड़ी ताकत है, प्रतिस्पर्धा। कारोबार में जुड़ी हर संस्था स्थानीय, राष्ट्रीय और संभव हो तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिक्री और लाभ को बढ़ाना चाहती है।

अस्तित्व बरकरार रखने और फलने फूलने के लिए हर व्यक्ति और कारोबार को अपने उपभोक्ता से संपर्क के लिए, निरंतर और तेज बेहतर नए रास्ते और आसान रास्ते तलाशने पढ़ते हैं।

जानकारी और प्रौद्योगिकी के स्तर पर विकास की हर नई पहल से ऐसे मौके मिलते हैं। जिन्हें अपना कर चपल प्रतिस्पर्धी नई सेवा और नए उत्पादों के साथ, बाजार में एक दूसरे को पीछे छोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।

तीनों ही ताकतें सूचना, प्रौद्योगिकी और प्रतिस्पर्धा गुणात्मक बढ़ोतरी के साथ मानव इतिहास में बदलाव का एक नया ही रिकॉर्ड रच रही है। आने वाले वर्षों में परिवर्तन का यह दौर और भी तेज होगा।

बदलाव से पनपते हैं मौके

तय मानिए कि आज से पांच साल बाद आप जो भी उत्पाद या सेवा इस्तेमाल करेंगे, वह आज की तुलना में बिल्कुल ही नए या अलग किस्म के होंगे। पांच वर्ष बाद 80 फ़ीसदी रोजगार के अवसर सूचना, प्रौद्योगिकी और प्रतिस्पर्धा में इजाफे के कारण बिल्कुल ही नए या परिवर्तनीय किस्म के होंगे।

और अच्छी बात यह है कि हर एक परिवर्तन आपके लक्ष्य को हासिल करने के लिए ज्यादा मौकों और संभावनाओं के दरवाजे खोलता है। ताकि आप और तरक्की कर सकें, पहले से कहीं ज्यादा तेजी से।

आप जो भी करते हैं, परिवर्तन का प्रभाव उस पर पड़ता है। परिवर्तन की दर, हफ्ते दर हफ्ते, महीने दर महीने बढ़ रही है। परिवर्तन की गति और विविधता पर आपका कोई भी नियंत्रण नहीं है। और इसके बारे में आपके पास कोई विकल्प भी उपलब्ध नहीं है।

आपको केवल इतना ही फैसला करना है कि आप परिवर्तन के उस्ताद बनना चाहते हैं, या की परिवर्तन के शिकार। आप परिस्थितियों के निर्माता बनना चाहते हैं, या परिस्थितियों का निर्माण बनना चाहते हैं।

क्या आप परिवर्तन की लहर पर सवार होकर सबसे आगे रहना चाहते हैं। या आप इसकी चपेट में आकर इसके भरोसे ही रहना चाहते हैं। इनमें से एक को तो आपको अपनाना ही होगा। लेकिन यह निश्चित है, कि आप चाहे कुछ भी करें परिवर्तन का प्रभाव आप पर भी पड़ेगा।

विशेषज्ञों की सलाह लें।

अगर आपको खाना बनाना सीखना है, तो आप खाना बनाने का अध्यन करते हैं। अगर आप वकील बनना चाहते हैं तो आपको वकील की पढ़ाई करनी पड़ती है। अगर आप इंजीनियर या आर्किटेक्ट बनना चाहते हैं तो आपको आर्किटेक्चर की पढ़ाई करनी पड़ती है।

अगर आपको आर्थिक तौर पर कामयाब होना हो तो आप ऐसी कामयाबी हासिल करने वालों के बारे में अध्यन करते हैं। आप पता करते हैं कि उन्होंने क्या किया और फिर आप भी वही करते हैं, बार बार जब तक कि आप कामयाब नहीं हो जाते।

पैसे कमाना कौशल है, साइकिल या कम्प्यूटर को चलाने की तरह। क्योंकि यह कौशल है, इसलिए धनवान बनने की ख्वाहिश रखने वाला हर व्यक्ति इसे सीख सकता है।

अगर आपने भूतकाल में कोई ऐसी सोच अपना ली थी। जिसके कारण आप पैसा नहीं बना या बचा सके। तो उस सोच को तत्काल छोड़ दीजिए। क्योंकि वह एक गलत धारणा थी। वक्त आ गया है कि आप आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बनने का फैसला करें।

वह महान नियम।

ग्रीक दार्शनिक एरिस्टोटल ने 350वीं सदी में पश्चिमी दर्शन का आधारभूत सिद्धांत कायम किया था। इसे (yeristoteliyan) प्रिंसिपल ऑफ केजुअल्टी कहा जाता है। आज हम इसे कारण और प्रभाव का नियम कहते हैं।

इस नियम के मुताबिक आपकी जिंदगी पर पड़ने वाले हर प्रभाव का कोई ना कोई कारण होता है। इसके अनुसार जो कुछ भी होता है उसका कुछ कारण होता है।

कामयाबी किसी दुर्घटना की तरह अकस्मात नहीं मिल जाती। ना ही नाकामयाबी अकस्मात मिलती है। आपके साथ जो कुछ भी होता है। इसका निर्धारण किस्मत या संयोग नहीं करता। बल्कि यह इसी अपरिवर्तनीय नियम की वजह से होता है।

बेरोजगारी और गरीबी से कामयाबी और आर्थिक स्वावलंबन तक पहुंचाने का आपका सफर उसी दिन से शुरू हो जाता है जिस दिन से अपने समाज के सबसे कामयाब लोगों के बारे में पढ़ना शुरू किया है आपकी सोच बहुत ही सरल है।

जो कुछ उन सफल और कामयाब लोगों ने किया अगर आप भी उसी चक्र को दोबारा दोहराते हैं तो निश्चित है की सफलता आपको जरूर मिलेगी।

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भूतकाल की चिंता छोड़कर भविष्य को अपनाएं अतीत की सोच से बाहर निकलें।

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