brusli our charli cheplin ki success story।

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यह दो स्टोरी दिखाएंगी आपको आपकी सफ़लता का मार्ग। brusli our charli cheplin ki success story।

ब्रूस ली के संघर्ष और सफ़लता की कहानी।

ब्रूस ली का जन्म अमेरिका के शहर सैन फ्रांसिस्को में 27 नवंबर 1940 को हुआ था। लेकिन 1 साल की उम्र में वे अपने माता-पिता के साथ हांगकांग चले गए थे, वहां उन्होंने बाल कलाकार के रूप में लगभग 20 फिल्मों में काम किया।

ब्रूस ली की अमेरिका वापसी।

उसके बाद अपनी शिक्षा को पूरी करने के लिए ब्रूस ली 18 साल की उम्र में वापस अमेरिका आ गए। और वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से दर्शनशास्त्र में ग्रेजुएशन करने लगे। वहां उन्होंने हांगकांग की विंग चुन नामक मार्शल आर्ट को फाइटिंग स्टाइल जोड़कर एक नई मार्शल आर्ट “जीत कुने दो” डेवलप की।

जिसे वे अमेरिका के पश्चिमी तट पर बसे लोगों को दिखाते थे। और कहते थे कुछ नया सोचो और सोचो कि उसे बेहतर तरीके से कैसे किया जाए। फिर सफलता आपके कदम चूमेगी। यह मेरा अनुभव है जिसका आप फायदा उठा सकते हैं।

पॉप संस्कृति का विस्तार।

फिर जब अमेरिका में पॉप संस्कृति का विस्तार हुआ। तब उन्होंने हॉलीवुड के स्टीव मैक्वीन और जेम्स कोबर्न जैसे अभिनेताओं को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दी। लेकिन ट्रेनिंग देते देते ब्रूस ली का झुकाव फिल्मों की तरफ हो गया।

पहले उन्हें वहां की फिल्मों में छोटी-मोटी भूमिका मिली। परन्तु कोई ख़ास कामयाबी नहीं मिली। क्योंकि उन फिल्मों में वे फाइट एडवाइजर के रूप में या फिर खलनायक के चमचे के रूप में काम करते थे।

फिर 1966 की टीवी सीरीज द ग्रीन हारनेट में ब्रूस ली ने केटो नामक पात्र की भूमिका की जो हीरो का सहायक था। उसके बाद उन्होंने एक जासूसी फिल्म मारलोबे में जेम्स गार्नर के साथ छोटा सा रोल किया था। लेकिन उन्हें मजा नहीं आया।

ऐसे बने सुपरस्टार।

फिर वे वापस हांगकांग चले गए। वहां उन्हें बे ऑफ द ड्रैगन फिल्म में एक जबरदस्त रोल मिला। जिसने ब्रूस ली को सुपरस्टार बना दिया। बाद में उन्होंने खुद कई एक्शन फिल्में बनाई जो सुपरहिट रही। फिर वार्नर ब्रदर्स की फिल्म एंटर द ड्रैगन आई जिसने उन्हें अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में लोकप्रिय बना दिया।

और देखते ही देखते ब्रूस ली एक बहुत बड़े सुपरस्टार बन गए। और एक सितारा बनकर चमकने लगे।अब ब्रूस ली इस दुनिया में नहीं है लेकिन आज भी लोग उनके एक्शन के दीवाने हैं और उन्हें अपना आइकॉन मानते हैं

प्रेरणा…

यदि आप सर्वश्रेष्ठ बनना चाहते हैं तो किसी दूसरी चीज को लेने से हमेशा इंकार करें जब तक आपको आपकी मंजिल ना मिल जाए यकीन मानिए अगर आप ऐसा करते हैं तो एक दिन निश्चित ही अपनी मंजिल पा लेंगे।

चार्ली चैपलिन की सफ़लता की कहानी। कैसे बने दुनियां को हंसाने वाले अभिनेता।

चार्ल्स स्पेंसर चैप्लिन यानी चार्ली चैप्लिन का जन्म 16 अप्रैल 1889 को लंदन में हुआ था। उनकी मां गायिका थीं लेकिन लगातार गाने से उनकी आवाज खराब हो गई थी। फिर भी वे थिएटर में गाती थी। कभी-कभी तो उनकी आवाज बीच में ही अटक जाती थी। सिर्फ फुसफुसाहट ही रह जाती थी। जिसकी वजह से चैपलिन को 5 साल की उम्र में अपनी मां के साथ थिएटर जाना पड़ा था।

ऐसे शुरू हुआ संघर्ष का सफर।

एक दिन वे स्टेज के गलियारे में खड़े थे। कि अचानक उनके कानों में मां की थरथराती कांपती और खोती आवाज़ आई। लोग हंसने लगे फब्तियां कसने लगे। उन दर्शकों में ज्यादातर फौजी थे। इसलिए थिएटर के मैनेजर ने चैपलिन को स्टेज पर जाने की सलाह दी ताकी स्टेज खाली ना रहे।

फिर जब फ्लड लाइट की चमक में चैपलिन ने गाना शुरू किया। तब उनके गाने पर सिक्के फेके जाने लगे। सिक्के देखकर चैपलिन ने गाना छोड़ दिया। और सिक्कों को देखते हुए बोले मैं पैसे पहले उठाऊंगा बाद में नाचूंगा गाऊंगा।

चैपलिन की आपबीती।

वही उनकी मां का स्टेज पर आखिरी कार्यक्रम था। और चैप्लिन का पहला इसलिए चैपलिन ने अपनी आत्मकथा में लिखा है। मां की मृत्यु के बाद मैंने झाड़ फानूस की दुकानों पर नौकरी की। फिर सेल्समैन बनकर बिस्किट, साबुन और मोमबत्ती बेची एक डॉक्टर के यहां भी मैने काम किया। जहां मुझे मरीजों के पेशाब के बर्तन धोने पड़ते थे। और दस दस फुट ऊंची खिड़कियों को भी धोना पड़ता था।

ऐसे बने कॉमेडी कलाकार।

चैपलिन ने एक बार बताया था, कि मैंने रूमी ब्रिंक्स नाम के आदमी को देखकर उसे अपनाया था। रूमी मेरे चाचा के पब के बाहर कोचवानो के घोड़े संभालकर रखने का काम करता था।

वह नाटा सा आदमी था लेकिन लंबे आदमी की पतलू पहनता था। उसके पांव फूले हुए थे जिन्हें वह घसीटकर चलता था। मुझे उसकी चाल देखकर बड़ा मजा आता था इसलिए मैंने लोगों को हंसाने के लिए उसकी स्टाइल अपना ली। उसके बाद देखते ही देखते चैपलिन एक कॉमेडियन कलाकार बन गए और लोगों को हंसाने लगे।

एक बार चैपलिन गांधी जी से मिले थे, फिर उनके विचारों पर मॉडर्न टाइम फिल्म बनाई गई। जो लोगों को खूब पसंद आई थी। उसके बाद चैपलिन दुनिया के महानतम अभिनेताओं में गिने जाने लगे। क्योंकि वह रोते हुए लोगों को अपनी हरकतों से हसा देते थे।आज भी लोग चार्ली चैप्लिन की कलाकारी देखकर अपनी हँसी नहीं रोक पाते।

चार्ली चैपलिन की प्रेरणा…

ईर्ष्या करना ठीक वैसा ही है जैसे कि आप किसी कुत्ते को इसलिए काट लें कि उसने आपको काटा था। इसलिए ईर्ष्या से अब तक कोई सफल नहीं हुआ। कल्पना करें कि कोई खिलाड़ी पूरी तेजी से दौड़ रहा है। और वह दूसरे खिलाड़ी से आगे निकल जाता है।

लेकिन जब वह मुड़कर देखने लगता है तब उसकी रफ्तार धीमी हो जाती है। और वह लड़खड़ाने लगता है और शायद वह पीछे भी हो सकता है। इसलिए ईर्ष्या को फलने फूलने का मौका ना दें। वरना इसे नफरत और प्रतिशोध का समर्थन मिल जाएगा। और आप जिंदगी की दौड़ में पीछे रह जाएंगे।

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