“कल्पना की कार्यशाला: इच्छाओं को वास्तविकता में बदलना। success stories।2024
मन की कार्यशाला।
कल्पना सचमुच एक कार्यशाला है जिसमें आदमी द्वारा बनाई गई सभी योजनाओं को आकार दिया जाता है। दिमाग के कल्पनाशील संकाय की सहायता से आवेग इच्छा को आकर रूप दिया जाता है और उसी स्तर पर उसपर काम किया जाता है। कहा गया है कि आदमी कुछ भी बना सकता है जिसकी वह कल्पना कर सकता है।
कल्पनाओं के विकाश का युग।
सभ्यता के सभी युगों में, यह युग कल्पनाओं के विकास के लिए सबसे अनुकूल है। क्योंकि यह तेजी से परिवर्तन का एक युग है। हर तरफ आप उत्तेजनाओं से संपर्क कर सकते हैं। जो कल्पनाओं का विकास करती है। अपने कल्पनाशील संकाय की सहायता से आदमी ने आज के समय से पहले मानव जाति के पूरे इतिहास की तुलना में अतीत के 50 वर्षों के दौरान प्रकृति की अधिक शक्तियों की खोज की और उसका इस्तेमाल भी किया है। उसमें हवा पर इस हद तक विजय प्राप्त की है कि उड़ने में पक्षियों को भी पीछे छोड़ दिया। उसने हवा का दोहन किया है और इससे दुनिया के किसी भी हिस्से के साथ तात्कालिक संचार के एक साधन के रूप में काम करवाया है। उसने लाखों मिल दूर सूर्य का विश्लेषण और भार किया है। और कल्पनाओं की सहायता से निर्धारित किया कि यह किन तत्वों से बना है। उसने खोज की है कि उसका अपना ही मस्तिष्क विचारों के कंपन के लिए एक प्रसारण और रिसिविंग स्टेशन दोनों है। और उसने इस खोज का व्यावहारिक उपयोग करना सीखना अब शुरू कर दिया है। उसने गतिशीलता बढ़ा ली है अब वह 300 मील से अधिक प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा कर सकता है।
कल्पना के रंगमंच पर: योजना से साकार तक।
वह समय जल्दी ही आ जाएगा जब आदमी नाश्ता इंडिया में और दोपहर का भोजन अमेरिका में करेगा। कारण की सीमा के अंदर आदमी की एकमात्र सीमा अपने विकास और अपनी कल्पना के उपयोग में सीमित है। वह अभी तक अपने कल्पनाशील संकाय के उपयोग में विकास के शीर्ष तक नहीं पहुंचा है। उसने मात्र खोज की है कि उसके पास एक कल्पना है जिसका उसने एक बहुत ही साधारण तरह से इसका इस्तेमाल करना शुरू किया है। कोई भी व्यक्ति किसी भी काम को करने के लिए सबसे पहले उसकी कल्पना ही करता है। क्योंकि कल्पना करने से रास्ते में आने वाली रुकावटें थम जाती हैं एक बार आपने सोच लिया कि आपको इतना सफर तय करना है। तो आपको सिर्फ आपका लक्ष्य ही नजर आएगा इधर उधर का आपको कोई खयाल ही नहीं आएगा। और आप उसे तय कर लेते हैं।
कल्पनाशील संकाय के दो रूप।
कल्पनाशील संकाय दो रूपों में काम करता है _एक ‘सिंथेटिक कल्पना’ और दूसरी रचनात्मक कल्पना, के रूप से जानी जाती है।
सिंथेटिक कल्पना: इस संकाय के माध्यम से आप पुरानी अवधारणाओं विचारों या योजनाओं को नए संयोजन में व्यवस्थित कर सकते हैं। यह संकाय कुछ भी नहीं बनाता है। यह केवल अनुभव शिक्षा और अवलोकन के साथ काम करता है। यह उस अपवाद के साथ आविष्कारों द्वारा सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला संकाय है। जो रचनात्मक कल्पना का सहारा तब लेता है जब वह सिंथेटिक कल्पना के माध्यम से अपनी समस्या को हल नहीं कर सकता।
इसका सीधा सिद्धान्त है, कि आप जिस प्रोफेशन में सफ़लता प्राप्त करना चाहते हैं। तो उसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें फिर चाहे वह पढ़ने से प्राप्त हो या अनुभव करने से हो या उसका अवलोकन करने से प्राप्त हो। यकीन मानिए आपको सफ़लता जरूर मिलेगी आप भी उन सफल लोगों में गिने जाएंगे।
रचनात्मक कल्पना: रचनात्मक कल्पना के संकायों के माध्यम से आदमी के सीमित दिमाग का अनंत दिमाग से सीधा संचार होता है। यह वह संकाय है जिसके माध्यम से अंतर ज्ञान और प्रेरणा प्राप्त किए जाते हैं। सभी बुनियादी या नए विचार इस संकाय द्वारा आदमी के मन में उत्पन्न होते हैं। यह इस संकाय के माध्यम से ही होता है कि दूसरों के दिमाग से विचार प्राप्त किए जाते हैं। यह इस संकाय के माध्यम से ही होता है कि एक व्यक्ति सुर मिलाकर या उन लोगों के अवचेतन मन के साथ संवाद कर सकता है।
रचनात्मक कल्पना स्वचालित रूप से काम करती है, बाद के पृष्ठों में वर्णित ढंग से यह संकाय केवल तभी काम करता है जब चेतन मन अत्यंत तेज बैग पर कंपन कर रहा हो। उदाहरण के लिए जब चेतन मन को एक मजबूत इच्छा की भावना के माध्यम से प्रेरित किया जाता है।
आप जैसे ही इन सिद्धांतों का पालन करते हैं दिमाग में रखें की कोई इच्छा को पैसे में कैसे परिवर्तित कर सकता है। इसकी पूरी कहानी को एक बयान में नहीं बताया जा सकता है, कहानी केवल तब पूरी होगी जब कोई महाभारत हासिल कर चुका हो ग्रहण कर चुका हो, और सभी सिद्धांतों का उपयोग करना शुरू कर चुका हो। व्यापार, उद्योग, वित्त, के महान नेता और महान कलाकार, संगीतकार, कवि और लेखक महान बने क्योंकि उन्होंने रचनात्मक कल्पना के संकाय को विकसित किया। लगातार उपयोग करने से सिंथेटिक और रचनात्मक दोनों संकाय अधिक उपयोगी हो जाते हैं। जैसे कि लगातार जिम करने से शरीर और शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
इच्छा केवल एक विचार।
इच्छा केवल एक विचार एक आवेग है, यह स्पष्ट और अल्पकालिक है। यह अमूल्य है इसका कोई मूल्य नहीं है। जब तक की इसे इसके भौतिक समक्ष के रूप में तब्दील न कर दिया गया हो। सिंथेटिक कल्पना वह है जो इच्छा के आवेग को पैसे में बदलने की प्रक्रिया में अधिकतर इस्तेमाल की जाति है। आपको मन में यह अवश्य ही रखना चाहिए कि आप उन परिस्थितियों और स्थितियों का सामना कर रहे हैं जो रचनात्मक कल्पना के उपयोग की मांग भी करती हैं।
आपका कल्पनाशील संकाय निष्क्रियता के माध्यम से शायद कमजोर हो गया है इसे प्रयोग के माध्यम से पुनर्जीवित किया जा सकता है। यह संकाय मरता नहीं है, हालांकि यह प्रयोग की कमी के कारण मौन हो जाता है। सिंथेटिक कल्पना के विकास पर कुछ समय के लिए अपना ध्यान केंद्रित करें क्योंकि यह एक ऐसा संकाय है, जिससे आप इच्छा को पैसे में परिवर्तित करने की प्रतिक्रिया में अधिक बार उपयोग करेंगे।