जिन्दगी में खुश कैसे रहे। life inspirational motivation story Hindi।
जिंदगी में आपकी कामयाबी या नाकामी का निर्धारण करने वाले तमाम नियमों में अनुरूपता का नियम(Law of correspondence) शायद सबसे महत्वपूर्ण है। क्योंकि आपकी बाहरी दुनिया दरअसल आपकी भीतरी दुनिया का ही प्रतिबिंब है, इसके मुताबिक आप भीतर से जो कुछ भी है, कुछ ही वक्त के बाद बाहर उसकी झलक दिखने लगेगी। जब आप अपनी सोच बदलते हैं, तो आप अपनी जिंदगी को भी बदल लेते हैं।
आप जो कुछ भी करते हैं यह नियम उस पर लागू होता है, आपको हासिल ज्ञान, आपकी तैयारी ही बाहरी दुनिया में आपकी आमदनी और सफलता तय करती है। भीतरी दुनिया में व्यक्तित्व का विकास ही बाहरी दुनिया में दोस्ताना और अन्य ताल्लुकातों का फैसला करेगा। स्वास्थ्य और फिटनेस के बारे में आपका नजरिया ही आपका स्वास्थ्य निर्धारित करेगा। आपकी आंतरिक धारणाएं और उम्मीदें ही आपके बाहरी व्यवहार और दूसरे लोगों के प्रति आपके व्यवहार को तय करेंगी। आपकी बाहरी दुनिया से हमेशा आपकी आंतरिक दुनिया की झलक मिलती रहेगी।
खुशी सबसे बड़ा लक्ष्य है।
सभी दार्शनिकों में महानतम एरिस्टोटल ने तकरीबन 2.300 साल पहले ही लिख दिया था। कि इंसान के हर कदम का अंतिम लक्ष्य खुशी ही होता है। उनका यह निष्कर्ष था कि किसी भी व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले किसी भी काम का अंतिम लक्ष्य किसी न किसी किस्म की खुशी हासिल करना ही होता है। कुछ मर्तबा तो कामयाब हो जाते हैं और कुछ मर्तबा नाकाम लेकिन खुशी हासिल करना तो हर व्यक्ति का लक्ष्य बना रहता है।
उनका निष्कर्ष यह था कि हर काम खुशी हासिल करने की ओर महज एक कदम ही होता है। उदाहरण के लिए आप एक बहुत ही अच्छी नौकरी पाना चाहते हैं। क्यों? ताकि आप ज्यादा पैसा कमा सकें। क्यों? ताकि आप एक अच्छा सा मकान और एक सुंदर सी कार खरीद सकें। क्यों? ताकि आपके अपने लोगों से रिश्ते अच्छे रह सके और आपका परिवार भी अच्छा रहे। क्यों? ताकि आपकी घरेलू जिंदगी संतुष्टि भारी हो। क्यों? और अंतिम जवाब है ताकि आप खुश रह सके। आप इसको कैसे भी परिभाषित करें और आप लक्ष्य को हासिल करने में कितने भी कामयाब हो जाएं आपके या किसी भी अन्य व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले काम का उद्देश्य खुशी हासिल करना ही होता है।
अच्छाई की भूमिका।
एरिस्टोटल की अंतर्दृष्टि से खुशी के संदर्भ में दिए गए महानतम निष्कर्ष मानवीय दर्शन और अनुभवों के इतिहास के सबसे बेहतरीन निरीक्षण में से एक है। केवल अच्छे लोग ही खुश रह सकते हैं और केवल वह ही जो सदाचारी और गुणवान है।
दर्शनशास्त्र और मनोविज्ञान के इतने वर्षों के रिसर्च में पाया गया है, कि वे ही लोग हमेशा खुश रह सकते हैं जो वाकई अंदर से भी अच्छे हैं। आत्मविश्वास के आधार के बारे में वर्षों के अध्ययन से यह बात सामने आई है कि स्पष्ट और सकारात्मक गुणों वाले पुरुष और महिला ही अडिंग आत्मविश्वास हासिल कर पाते हैं। ऐसा आत्मविश्वास जिसके सहारे वे अपने साथ होने वाली हर बात का सामना कर सकते हैं।
आत्मविश्वास को तेजी से वापस पाने के लिए आपको अपने गुणों और दृण मतों के बारे में पूरी तरह से स्पष्ट होना होगा। तकरीबन सभी मानवीय समस्याओं का हल मूलभूत गुणों की ओर वापसी ही है। कई मायने में आपके दुखी और तनावपूर्ण होने का एक कारण उन बातों और कामों से दूर जाना होता है, जो आपकी राय में सही है। आसान शब्दों में कहें तो अपनी अंतरात्मा की आवाज को ना सुनना।
सत्यनिष्ठा है अनिवार्य
कामयाबी के लिए इकलौता सबसे बड़ा जरूरी गुण है, सत्यनिष्ठा। एरिस्टोटल ने हमेशा इसी बात पर जोर दिया कि सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, साहस, उदारता, लगनशीलता, और निष्पक्षता जैसे गुणों पर आधारित जिंदगी से ही खुशी और आत्म संतोष हासिल किया जा सकता है।
सत्य निष्ठा एक ऐसा गुण है जिस पर सभी गुण आधारित है। एक बार एक धनकुबेर ने बताया कि दरअसल सत्यनिष्ठा ही वह गुण है जो बाकी के गुणों को भी सुनिश्चित करता है। सत्यनिष्ठा वह आधार होता है, जिस पर अन्य सभी गुण निर्भर होते हैं। सच्ची सत्यनिष्ठा का मतलब होता है, कि जीवन में हर काम हमेशा अपने गुणों के अनुरूप सच्चे दिल और दिमाग से ही करना।
अपने जीवन मूल्यों को पहचानें
कंपनी के लिए या व्यक्तिगत रणनीतिक योजना के सत्र की शुरुआत हम लोगों से अपने जीवन मूल्यों का खुलासा करने के लिए कहकर करते हैं। आपको भी अपनी व्यक्तिगत रणनीति की योजना बनाने के लिए यही से शुरुआत करनी चाहिए। आपके भीतर कौन से गुण हैं वह कौन सी बातें हैं जिनमें आप यकीन करते हैं। आप किस तरह की बात का समर्थन करते हैं। वह कौन सी बातें हैं जिनका आप साथ नहीं देंगे।
आपकी अपने गुणों को परिभाषित करने की योग्यता ही लोगों को आपके व्यक्तित्व से जुड़ने के लिए मजबूर करेगी। जो अंततः आपको जिंदगी का आनंद उठाने का मौका देगा। जब आपका व्यक्तित्व अच्छा, शालीन, ठोस और जीवन से जुड़े सकारात्मक मूल्यों पर आधारित होगा, तो आप एक सच्चे इंसान होंगे। जिसका परिणाम आप भीतर से खुश होंगे चाहे फिर आपके आसपास कुछ भी हो रहा हो।
जीवन मूल्यों को क्रम में जमाएं
एक बार आपने अपने जीवन मूल्यों को पहचान लिया, तो फिर आपको उन्हें प्रार्थमिकता के आधार पर व्यवस्थित करना चाहिए। शुरुआत उन चार या पांच जीवन मूल्यों के साथ करें जो कि आपके चरित्र और व्यक्तित्व का आधार हो। ये वे जीवन मूल्य है जो आपकी राय में किन्ही भी अन्य जीवन मूल्यों से ज्यादा महत्वपूर्ण है। इस बात का काफी महत्व होता है, कि इन जीवन मूल्यों को आप किस क्रम में जमाते हैं। यही क्रम फिर इस बात का फैसला करता है, कि आप किस तरह के व्यक्ति हैं, और किस तरह की जिंदगी जीते हैं।
आप जो कुछ भी करते हैं वह केवल पसंद या विकल्पों का परिणाम होता है। आप कोई एक या दूसरा काम करने के लिए निरंतर, एक या दूसरे तरीके को आजमाते रहते हैं। विकल्पों को तलाश लेने का गुण आपको अन्य जीवों से अलग करता है। हर विकल्प का फैसला आप उस वक्त के अपने आधारभूत जीवन मूल्यों के आधार पर करते हैं। हर काम आपके लिहाज से उस वक्त सबसे महत्वपूर्ण जीवन मूल्य के आधार पर ही किया जाता है।
जीवन मूल्यों के आधार पर कदम उठाएँ
जब एक बार आप विकल्प चुनते हैं तो आपके शीर्ष जीवन मूल्य आपके निकले जीवन मूल्यों पर हावी हो जाते हैं। हर कदम हर फैसला उस वक्त आप पर हावी जीवन मूल्यों के आधार पर ही निर्भर करता है। आप एक बार में एक ही जीवन मूल्य या विकल्प को चुन सकते हैं, और आप उसका चयन भी कर लेते हैं। आप वही विकल्प या जीवन मूल्य चुनते हैं जो आपके लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण होता है।
आप कैसे बता सकते हैं कि आपके जीवन मूल्य क्या है। बहुत ही आसान है? आपके जीवन मूल्य हमेशा केवल आपके काम में ही झलकते हैं। आप क्या है यह आपको और अन्य लोगों को आपके लिए गए काम से पता चलता है, आपकी कहीं बातों से नहीं। खासतौर पर जो आप दबाव के वक्त करते हैं, जब आपको चुनने के लिए मजबूर किया जाता है, तो आपके जीवन मूल्य और धारणाएं दुनिया के सामने उजागर हो जाते हैं।
व्यक्तित्व का निर्धारण
जीवन मूल्यों का चयन और उनका क्रम आपके व्यक्तित्व और आपकी जिंदगी के निर्धारण के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। एक उदाहरण पेश है? कल्पना कीजिए कि दो लोगों ने कांफी माथापच्ची के बाद एक से ही जीवन मूल्यों को चुना। बस प्राथमिकता का क्रम अलग है।
व्यक्ति, ‘अ’ ने फैसला किया कि उसके जीवन मूल्यों का क्रम उसके लिहाज़ से कुछ ऐसा है? सबसे पहले परिवार, फिर स्वस्थ, और तीसरा था कैरियर में कामयाबी। इस व्यक्ति का कहना है कि वह अपने परिवार को अपने स्वास्थ से भी ज्यादा महत्व देता है, और स्वास्थ को कैरियर से ज्यादा महत्व। इसका मतलब यही है कि अगर उसे परिवार और करियर में से एक को चुनने के लिए कहा गया, तो वह परिवार को ही चुनेगा। अगर उसे स्वस्थ और करियर में से एक को चुनने के लिए कहां जाएगा तो वह स्वास्थ्य को ही चुनेगा।
व्यक्ति, ब‘, इस व्यक्ति ने जीवन मूल्यों को कुछ अलग क्रम दिया। कैरियर में कामयाबी पहले स्थान पर, परिवार दूसरे स्थान पर, और स्वस्थ तीसरे स्थान पर। इसका मतलब यह है कि वक्त आने पर वह व्यक्ति परिवार की तुलना में करियर को ज्यादा महत्व देगा। और अपने परिवार और करियर को अपने स्वास्थ्य से भी ज्यादा महत्व देगा।
बड़ा सवाल
अब एक बड़ा सवाल क्या ‘अ’ और ‘ब’ की जिन्दगी में कोई फर्क होगा? यह फर्क छोटा होगा या बड़ा? आप किसे दोस्त बनाना पसन्द करेंगे ‘अ’ को या फिर ‘ब’ को? अगर आप उनसे मिले तो क्या आप उन दोनों के बीच अन्तर कर पाऐंगे?
जबाब यह कि कैरियर को ज्यादा प्रार्थमिकता देने वाला व्यक्ति ब’, और अपने परिवार को सबसे ज्यादा महत्व देने वाला व्यक्ति अ’, से बहुत अलग होगा। परिवार, स्वास्थ्य और कैरियर दरअसल जीवन मूल्यों को सिद्धांत बनाने वाले संस्थान है। ऐसा व्यक्ति हमेशा खुश रहेगा जो कि अपने मूल्यों पर आधारित जीवन जीता है। बशर्ते उस इंसान के जो करियर को परिवार और स्वास्थ्य से ज्यादा प्राथमिकता देता है। इसलिए आपको जीवन मूल्यों का चयन जितनी ही सावधानी उनके क्रम के निर्धारण में करनी चाहिए। आपके जीवन मूल्य और उनका क्रम आपकी पूरी जिंदगी का फैसला करते हैं।
सत्यनिष्ठा एक जीवन शैली है
एक बार आपने अपने जीवन मूल्यों का निर्धारण कर लिया तो उन पर बने रहने की आपकी दृढ़ता आपकी सत्यनिष्ठा के स्तर को बताती है। जीवन मूल्य कोई ऐसी बात नहीं है जिसे आप अपनी सुविधा के अनुसार इस्तेमाल करें। या तो आप इसे रखते हैं या फिर नहीं रखते हैं, आपका जीवन मूल्यों का चयन और फिर उसी के अनुरूप जीने का संकल्प ही आपके चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करता है।
इतिहास गवाह है, की महान पुरुष और महिलाएं चरित्र के लिहाज से भी महान थे। वे ऐसे लोग थे जिनका पूरा जीवन ही ऊंचे और उदार जीवन मूल्यों पर आधारित था। उनका सम्मान ही उन जीवन मूल्यों के लिए किया जाता है जिसका उन्होंने प्रतिनिधित्व किया और सारी उम्र अपनाये रखा।
हमारे आज के समाज में स्थिति के मुताबिक जीवन मूल्य, और परिस्थिति के मुताबिक आचरण सबसे बड़ी समस्या है। यह लोगों के द्वारा सही या गलत का फैसला स्थिति के मुताबिक फैसला लेने से होता है। अगर परिस्थिति हमारे फैसले के विपरीत है तो हम फैसला भी बदल लेते हैं। जिससे साबित होता है कि आप जो कुछ भी करते हैं सिर्फ मतलब के लिहाज से करते हैं। जहां परिस्थिति कभी भी आपके फेवर में नहीं होती। और आप इस खुशफहमी में रहते की आप सही है।
दबाव में आप क्या करते हैं?
परिस्थिति के अनुसार बदलने वाले जीवन मूल्यों की झलक उसे वक्त मिल जाती है, जब कोई व्यक्ति कहता कुछ और है करता कुछ और है। वह कहते तो है कि बे केवल सच बोलते हैं, लेकिन जब उनको उचित लगता है तो वह झूठ भी बोल लेते हैं। और दूसरों के झूठ को भी माफ कर देते हैं। किसी भी व्यक्ति की पहचान इस बात से नहीं होती कि वह क्या बोलता है बल्कि इस बात से होती है कि वह क्या करता है।
कुछ लोग अपनी भावनाओं के कारण असमंजस में पड़ जाते हैं, वे यह धारणा बना लेते हैं कि अगर उनके इरादे नेक हैं, तो फिर उनके द्वारा उठाए जाने वाले कदम से कोई भी फर्क नहीं पड़ेगा। वे सोचते हैं कि किसी बात के बारे में अगर वे ख्वाहिश करते हैं तो वह काम वाकई में करने जैसा ही है या नहीं। लेकिन सच तो यह है कि जब आपको दबाव में कोई काम करना पड़ता है तो आप जो विकल्प चुनते हैं। वही बताता है कि दरअसल आप भीतर से कैसे व्यक्ति हैं।
आपकी कामयाबी और खुशी के लिए जरूरी है कि आप अपने संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति के प्रति ईमानदार रहें। अपनी निजी जिंदगी में भी और अपने काम में भी, लोग आपकी इस वक्त सबसे ज्यादा मदद करेंगे जब आप एक चरित्रवान और सत्यनिष्ठ व्यक्ति के तौर पर पहचान हासिल कर लेंगे। दूसरी ओर आपके बारे में यह धारणा की यह व्यक्ति भरोसे या निर्भर करने के लायक नहीं है। तो लोगों की यह सोच आपके करियर और प्रतिष्ठा को पूरी तरह से चौपट कर सकती है।
अपने प्रति ईमानदार रहें
ईमानदारी का मतलब होता है कि आप अपने आप से पूरी तरह से ईमानदार रहें। शेक्सपियर के हेमलेट में जैसा कि पोलोनियश ने कहा है अपने आप से ईमानदार रहो और यह ठीक वैसा ही होना चाहिए जैसा रात के बाद दिन। सच मानिए फिर आप किसी के साथ भी झूठा व्यवहार नहीं कर सकते।
अपने प्रति ईमानदार रहना एक महान चरित्र के निर्माण की दिशा में पहला कदम है। इसकी शुरुआत हमेशा अपने आप से सच्चे रहने के साथ होती है। आप अपने आप को या अपने दिमाग को धोखा नहीं देते उसके साथ मजाक नहीं करते। आप ऐसी बातों में यकीन नहीं रखते जो की बिल्कुल ही असंभव हो। आप यह उम्मीद या प्रार्थना नहीं करते की बातें बदल जाएगी। आप दुनिया के अपनी सोच के अनुरूप होने का इंतजार करने की बजाय वह जैसी हैं उसी का सामना करते हैं।
हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें
हर काम को समय पर करने वाला व्यक्ति उस पर अपनी छाप छोड़ जाता है। अपने आप से ईमानदार रहने का मतलब है की जो भी काम या जिम्मेदारी लेते हैं, हमेशा उसे सबसे अच्छे तरीके से करने का प्रयास करते हैं। आपके भीतर छिपे ईमानदारी और सत्य निष्ठा के गुणों की झलक आपके कामों से मिल जाती है। आप भीतर से कैसे हैं इसका पता आपके द्वारा किए गए काम को करने के लिए दिए गए समय और आपके सर्वश्रेष्ठ प्रयासों से लगाया जा सकता है। किसी काम को तभी स्वीकार करें जब आप उसे बहुत अच्छी तरह से करना चाहते हो। और अगर किसी काम को करने का सोच लिया तो उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें।
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