सफलता story in hindi। motivation speekar हर्षवर्धन जैन के सफलता की कहानी।2024

71 / 100

सफलता story in hindi। motivation speekar हर्षवर्धन जैन के सफलता की कहानी।

ऐसे समय में अपनी सोच को बदला।

सन् 1998 की बात है उम्र 18 साल की थी Bsc 1St year था। क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था पढ़ाई में इतना ध्यान नहीं रहता था लेकिन क्रिकेट को पूरा दिल से खेलते थे। उनके पिता प्रभाकरवर्धन जो जयपुर में सरकारी डॉक्टर थे। वहां से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर ही उनका गांव था। पिता सरकारी नौकरी थी इसलिए जितनी जरूरत होती थी रुपए तुरंत मिल जाते थे। 17 साल की उम्र तक उनके पिता जी ने उन्हें सभी शौक सुविधाएं दे दी जैसे क्रिकेट खेलने के लिए सारा सामान, एक हीरो पुक गाड़ी ब्रांडेड कम्पनी की घड़ी, बाटा के जूते, इसलिए जीवन की कोई परवाह नहीं थी कि आगे क्या करना है।

लेकिन एक समय ऐसा आया जिसने उनकी सोच ही बदल दी, Bsc 1St year थी परीक्षा का समय नजदीक आ गया था। तीसरे दिन एग्जाम देने जाना था लेकिन तीन दिन पहले क्रिकेट खेलते समय उनकी आंख के ऊपर बॉल की चोट लग गई, जिससे आंख खोलने में तकलीफ हो रही थी। लेकिन इस बात का उन्हें ज्यादा अफसोस नहीं था, क्योंकि ज्यादा पढ़ाई नहीं की थी तो फेल होने का जो डर था उसके लिए एक बहाना मिल गया था।

वो कहते हैं कि जब आप किसी भी चीज को पूरी सिद्दत से पाने की कोशिश करते हो। तो सारी कायनात उसे आपसे मिलाने की साजिश करती है।।

ऐसा ही हुआ हर्षवर्धन जैन जी के साथ जैसा सोचा था वह Bsc 1St year में फैल हो गए। अब उनका दिमाग खराब क्योंकि सोचा तो छोटा था लेकिन असर बड़ा हो गया। घर पहुंचे पहुंचते ही हीरो पुक की चाबी अपने से दूर कर दी, घड़ी उतार दी बाटा के जूते निकाल दिए, जो भी खेलने का सामान था सब कुछ अपने आप से दूर कर दिया।

अब एक बड़ा बदलाव आया उनकी जिन्दगी में, क्योंकि उन्होंने अपनी सोच को पूरा ही बदल दिया पहले पढ़ने के बारे में सोचते ही नहीं थे लेकिन अब एक ही फोकस था कि पढ़ना है। Bsc 1st year में फेल होने के बाद शिफ्टिंग की आर्ट में आए philosophy subject लिया, अब कोचिंग शुरू कर दी। कोचिंग जानें के लिए 3 रुपए मिलते थे उसमें से भी एक रुपया बचा लेते थे क्योंकि गांव से हाईवे तक करीब दो किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करते थे। जो एक रुपया बचाते थे उससे कचौड़ी खाते थे।

join की नेटवर्क मार्केटिंग।

पढ़ाई के साथ उन्होंने नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी join कर ली, फिर शुरु हुआ उनके जीवन का संघर्ष गांव गांव जाना शुरू कर दिया लोगों से मिलना शुरू कर दिया। लोगों को प्लान दिखाना शुरू कर दिया कुछ लोग उनकी बात सुनते थे कुछ लोग सुनने से इनकार कर देते थे। लेकिन रुके नहीं क्योंकि उनका सिद्धांत है एक बार commetment कर दी तो कर दी।

कमिटमेंट (commitment)

एक बार की बात है किसी दूसरी पार्टी को रुपए देने का वादा कर दिया लेकिन बैंक में सर्वर प्रॉब्लम की वजह से पेमेंट करने में समस्या आ गईं। बैंक मैनेजर से बात की तो पता चला कि रात को 12 बजे तक का प्रॉब्लम है उसके बाद सही हो जायेगा। तुरन्त सामने वाली पार्टी को फोन किया और अपने बैंक के सर्वर प्रॉब्लम के बारे में बताया, और बोला कि रात के 12 बजे के बाद आपका पेमेंट आपके पास पहुंच जाएगा। रात के 12 बजकर 1 मिनट पर तुंरत पेमेंट हो गया। ऐसी और बहुत सी बातें हैं की एक बार बोल दिया सो बोल दिया फिर कुछ भी हो जाय लेकिन जो बोला वही किया।

जोखिम जिम्मेदारी (risckponsivility)

जो काम दूसरे लोग करने से डरते थे, ऐसे कामों में हमेशा आगे रहते थे। एक बार उनके स्कूल में प्रोग्राम हुआ जिसमें ग्वाला बनना था। क्लास में टीचर ने सबको बोला लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ, तो हर्षवर्धन जी इस प्रोग्राम का हिस्सा बन गए। जब प्रोग्राम समाप्त हुआ तो उन्हें ईनाम में 1100 रुपए मिले जो उनके लिए बहुत बड़ी बात थी।

अनुशासन (Discipline)

अपने आप को हमेशा अनुशासन में रखते हैं। सोना, जागना, लोगों के साथ बैठना, पढ़ना, सब कुछ निश्चित है। और अपनी टीम को भी हमेशा अनुशासन में रखते हैं। इसलिए उनकी आज एक अलग ही पहचान है। उनके videos आज सोशल मीडिया पर धूम मचा रहे हैं। बहुत से लोग उनसे सीख कर अपना बिज़नेस बढ़ा रहे हैं। उनसे प्रेरणा लेकर लोग सफ़लता के रास्ते खोज निकालते हैं।

read more…….

चाणक्य के प्रेरणादयक थॉट्स हिन्दी में।

जिन्दगी में खुश कैसे रहे।

संघर्ष और सफलता की कहानी। दिमाग़ की ताकत।

समझ का सागर: बुद्धिमत्ता की कहानी।

Leave a Comment