जानिए सफ़लता पाने के लिए 40 प्लस फॉर्मूला क्या है। 40 Plus Formula for success motivation thought।
आप यह कर सकते हैं
अगर आप आर्थिक तौर पर स्वावलंबी या उससे भी बेहतर बनने को लेकर गंभीर हैं अपने दम पर लखपति बनना चाहते हैं तो आपके लिए दो तथ्य हैं?
पहला: यह निश्चित तौर पर संभव है, कि हर वर्ष फिर से शुरू करके हजारों पुरुष और महिलाएं आर्थिक तौर पर स्वावलंबी बन रहे हैं। जो अन्य लोग कर सकते हैं निश्चित तौर पर आप भी कर सकते हैं।
यही प्रमाण आपका भी इसे हासिल कर पाने की संभावना के लिए काफी है। क्योंकि अन्य लोगों ने भी इसे हासिल किया है। सवाल यह है कि आप इसे पाने के लिए कितने बेकरार हैं?
दूसरा: व्यक्तित्व का सिद्धान्त कहता है कि अगर आप किसी क्षेत्र में कामयाब होना चाहते हैं। तो पता कीजिए कि उस क्षेत्र में कामयाब हुए दूसरे लोगों ने क्या किया, और फिर उसी काम को आप भी बार बार कीजिए, जब तक कि सफ़लता न मिल जाएं।
40 प्लस फॉर्मूला।
आज से ही अपने काम और अपने कैरियर में “40 प्लस फॉर्मूला लागू कर दीजिए”। अमेरिका में इस फार्मूले के अनुसार अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए प्रत्येक व्यक्ति सप्ताह में चालीस घण्टे काम करता हैं।
अगर आप भी प्रति सप्ताह चालीस घण्टे काम करते हैं- यानी की आप उतना ही काम करते हैं जितना कि आपको अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए जरूरी है। तो आप बस अपना अस्तित्व ही बचा सकेंगे।
आपकी बस जिन्दा रहने लायक ही कमाई होगी। आप उतना ही कमा पाएंगे जिसमें आपकी जरुरतें पूरी हो सकें। आपके बिलों का भुगतान हो सके, लेकिन आप इससे आगे नहीं बढ़ सकेंगे।
खुद को बढ़त दें।
40 प्लस फॉर्मूले के अनुसार, अपने काम या अपने आप पर इन चालीस घंटों के बाद जितना भी वक्त देते हो वह भविष्य की कामयाबी के लिए निवेश है। अगर आप 45 से 50 घण्टे काम करते हैं तो आप खुद को अपने सहकर्मियों पर बढ़त दिला देते हैं।
अगर आप प्रति सप्ताह 55 से 60 घण्टे काम करते हैं तो आप अपने लिए कामयाबी को लगभग तय ही कर लेते हैं। आप देवदूतों सा बना लेते हैं। अपने दम पर खुद को स्थापित करने के लिए लखपतियों ने प्रति सप्ताह 70 से 80 घण्टे काम किया। स्थाई सफ़लता के लिए कोई शॉर्टकट नहीं है।
हकीकत यह है कि कामयाब लोग, सामान्य व्यक्ति की तुलना में अपने कैरियर के दिनों में ज्यादा काम करते हैं। वे प्रतिदिन 10 से 12 घण्टे काम करते हैं। हर सप्ताह के छह दिन। वे कई महीनों, कई साल तक ऐसे ही काम करते रहते हैं।और तब तक करते रहते हैं, जब तक वे अपने काम को कम करने की स्थिति में नहीं आ जाते।
अपने बूते लखपति बने औसत व्यक्ति को बिल्कुल खाली जेब से लखपति बनने में 10 से 15 बर्ष तक का समय लग जाता है। यह आसान नहीं है और ना ही जल्द हो जाता है। लेकिन अगर आप इसे पाने को लेकर गंभीर हैं तो यह बिल्कुल ही मुमकिन है।
जब काम करें तो सिर्फ काम करें।
अपने काम मैं कामयाबी का राज है समय का सही प्रबंधन। परिणामों पर एकाग्रता और कमजोर प्रदर्शन करने वालों से दूरी और वक्त खराब करने वाली गतिविधियों से दूर रहना। इसे इन शब्दों में भी कहा जा सकता है, जब काम करें तो पूरा वक्त कम करें।
यह कई लोगों के लिए एक उल्लेखनीय विचार हो सकता है। नौकरीपेशा लोग कई बार काम को ऐसे देखते हैं, मानो यह उनकी स्कूल की ही अगली सीढ़ी है। जब वे बड़े हो रहे थे तो उनकी यह सोच थी।
कि स्कूल ऐसी जगह है जहां आप समाज में घुलने मिलने के तौर तरीके सीखने जाते हैं। आप जरूरी पाठ्यक्रम तो लेते हैं लेकिन आपको लगता है की सबसे अच्छा वक्त तो ब्रेक का होता है। जब आप अपने दोस्तों के साथ गपशप करते हैं, स्कूल यह किस्म खेल और नाटक की तरह लगने लगता है।
कई लोग सोचते हैं कि जब वे पहली नौकरी करते हैं, तो वह जगह भी ऐसी ही है जहां दोस्तों के साथ वक्त गुजारना है। यही वजह है कि लोग काम का आधा वक्त तो लोगों से मिलने जुलने, दोस्तों या परिवार के साथ टेलीफोन पर बातचीत में ही बिता देते हैं।
काम को वक्त का पैसा मिलता है। इसीलिए काम को वक्त का पैसा ही, बड़ा हिस्सा मान लिया गया है। जहां आप स्कूल की ही तरह खेलते-कुंदते रह सकते हैं। लेकिन जब बॉस देख रहा हो तो आप थोड़ा बहुत कम कर लेते हैं। उसके बाद समय पर वेतन लेते हैं और घर चले जाते हैं।
लेकिन यह आपके लिए ठीक नहीं है अगर आप कामयाब होने के लिए दृढ़ संकल्प हैं। और सबसे ज्यादा पैसा कमाना चाहते हैं या सबसे ज्यादा वेतन पाना चाहते हैं। तो आपको काम के पूरे वक्त में काम ही करना होगा। जब आप काम करने के लिए जाएं तो पूरा दिल लगाकर पूरा वक्त काम को ही दें।
सहकर्मियों के साथ मेल-जोल।
कई लोगों का इस बारे में विश्वास होता है, कि आपको अपने सहकर्मियों से मेलजोल बढ़ाने के लिए काफी वक्त देना पड़ता है। वे कहते हैं कि काम तो मजे करना है, एक हद तक यह ठीक भी है। लेकिन आपके लिए एक महत्व बात यह है कि आपका व्यवहार सकारात्मक और सहयोगात्मक होना चाहिए।
इसे आप हर रोज थोड़ी देर की चर्चा के साथ भी हासिल कर सकते हैं, इसके लिए आपको ट्रेनिंग लेना या खेल, टीवी शो, पारिवारिक गतिविधियों जैसी बातों पर ही चर्चा में घंटे बिताने की कोई जरूरत नहीं है। आपकी जिम्मेदारी काम के वक्त पूरी तरह से काम करना ही है।
जब आप काम करते हैं तो आप केवल काम ही करते हैं आप काम के वक्त में लॉन्ड्री से कपड़े लाने ले जाने का काम नहीं करते। यही नियम 40 प्लस फॉर्मूले का उदाहरण है।
आप काम के वक्त अपने दोस्तों से मेलजोल या परिवार के लोगों से चर्चा में वक्त नहीं गंवाते, आप लंबे कॉफी और लंच ब्रेक नहीं लेते। आप काम के पूरे वक्त काम ही करते हैं। आप तय वक्त में संभव हर काम को करने के प्रति समर्पित होते हैं।
काम में जुट जाएं।
आपका मकसद संस्था का सबसे मेहनती व्यक्ति बनकर कंपनी की तरक्की को बढ़ाना, या अपने बिजनेस में बड़ी सफ़लता को हासिल करना होना चाहिए। अगर कोई आपके साथ टाइम पास करना चाहे, तो उसे साफ कह दीजिए कि बेहतर होगा कि वह काम खत्म होने के बाद आपसे चर्चा करें। लेकिन अभी आप काम में जुट जाइए, अपने आप से कहते रहे? काम में जुट जाओ, काम में जुट जाओ!
आर्थिक तौर पर कामयाब लोग या तो अपना कारोबार करते हैं, या फिर अन्य संस्थाओं के लिए वाकई बहुत ही कड़ी मेहनत करते हैं। कारोबार की दुनिया में एक कहावत है हर कोई सब कुछ जानता है। गोपनीयता जैसी कोई बात ही नहीं है। हर कोई यह जानता है कि संस्था में कौन सबसे ज्यादा मेहनती है और कौन नहीं।
आपके जितने भी गुण हैं उनमें से सबसे ज्यादा मेहनती होना ही आपको सबसे ज्यादा सफलता दिलाएगा। वह चाहे किसी भी प्रोफेशन में हो चाहे नौकरी या कारोबार।
जल्दी शुरूआत करें देर तक रुकें।
थिंक एंड ग्रो रिच* के लेखक नेपोलियन हिल ने एक बार एक ऐसे युवक की कहानी सुनाई, जिसने संस्थान में सबसे नीचे से शुरूआत करते हुए, अपने साथ ही शुरूआत करने वाले सभी लोगों को पीछे छोड़ते हुए कम्पनी में ऊंचा ओहदा हासिल कर लिया।
उसकी कामयाबी का फॉर्मूला बहुत ही आसान था। उसने देखा कि उसका बॉस काम को खत्म करने के लिए सबसे पहले आता है, फिर सबके बाद ही जाता है। इस युवक ने फैसला किया कि वह अपने बॉस से 15 मिनट पहले आएगा और उसके जाने के 15 मिनट बाद ही ऑफिस से जाएगा।
अगले दिन से ही उसने अपने इस संकल्प को साकार करना आरंभ कर दिया। यह जबरदस्त कामयाबी हासिल करने वालों की एक और खासियत होती है: वे किसी अच्छे विचार के दिमाग में आने के बाद केवल उस पर सोचते ही नहीं रहते।
बल्कि तत्काल काम में जुट जाते हैं, इस युवक ने भी यही किया हर रोज अपने बॉस से 15 मिनट पहले आकर 15 मिनट बाद जाने का सिलसिला आरंभ कर दिया। जब उसके बॉस काम से घर चले जाते थे। वह युवक तब भी काम करता रहता था।
धैर्यवान और लगनशील बनें।
बॉस ने कुछ दिन तक उसे कुछ भी नहीं कहा, फिर आखिरकार एक दिन काम के बाद उसके बॉस ने उसकी डेस्क पर आकर उससे पूछा। कि वह हर वक्त ऑफिस में ही कैसे दिखता है। जबकि उसके सभी साथी चले जाते हैं।
युवक ने जवाब दिया कि वह कंपनी में कामयाबी हासिल करना चाहता है। और मैं जानता हूं कि यह तब तक संभव नहीं जब तक मैं सबसे ज्यादा मेहनत करने के लिए तैयार ना हो जाऊं।
उसकी यह बात सुनकर बॉस मुस्कुराया और सिर हिलाकर चला गया। इसके बाद बॉस ने उसे एक ऐसा काम दिया जो कि आमतौर पर उसके काम का हिस्सा नहीं था। उसने तत्काल इसे करके बॉस को सौंप दिया। और अपनी डेस्क पर जाकर अपने काम में लग गया।
इसके बाद उसे एक और काम दिया गया और उसने वह भी जल्दी से निपटा दिया। एक साल के भीतर उस युवक को उसके नियमित काम के अलावा भी कई जिम्मेदारियां दी गई। और उसने हर एक को स्वीकार कर जल्दी ही पूरा कर दिया।
दूसरे ही साल उसे ऊंचे पद पर तरक्की दे दी गई। उसने पढ़ाई की अपने कौशल को और अधिक निखारा, और अधिक मेहनत के साथ काम को जारी रखा। कुछ ही सालों में उसने अपने सभी साथियों को पीछे छोड़ दिया।
उसने अन्य मैनेजर का भी सम्मान हासिल कर लिया। बॉस ने उसे जल्द ही तरक्की देकर स्टाफ की बजाय अपने में ही शामिल कर लिया। आखिरकार एक दिन वह कंपनी का वाइस प्रेसिडेंट बना।
यह रणनीति हर उस व्यक्ति के लिए कारगर साबित हो सकती है। जो कि अपने काम के अलावा भी कोई अन्य जिम्मेदारी निभाना चाहता है। यह हर किसी के लिए कारगर साबित हो सकती है बार-बार साल दर साल।
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